दिवाली का अवसर हो और हर दिशा उत्साह-उमंग से झंकृत न हो, हो ही नहीं सकता। प्रकाश के इस पर्व को हर्षोल्लास से परिपूर्ण करने के उद्देश्य से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के Beyond Theory Sessions - PEACE द्वारा 28 अक्टूबर को नई दिल्ली स्थित डा. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में DIYAwali DIVYA-fied- A techno traditional Diwali Carnival नामक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस कार्पोरेट कार्यक्रम में 700 से अधिक लोग उपस्थित रहे, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कार्पोरेट जन- निर्देशक (Directors), डॉक्टर, वकील, प्रबंधक, शिक्षाविद् शामिल थे। इनके अतिरिक्त प्रसिद्ध इलेक्ट्रोनिक मिडिया के बहुत से संवादाता भी उपस्थित रहे।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में कार्यक्रम का आरंभ अत्यंत मार्मिक सत्र- Bulletized Ravan Dahan से हुआ। जिसे साध्वी निधि भारती जी द्वारा प्रस्तुत किया गया। बहुत से मनोवैज्ञानिक आंकलनों व Dr Jekyll और Mr Hyde की प्रसिद्ध Case Study द्वारा साध्वी जी ने रावण के 10 सिरों की समानता मानव मस्तिष्क के 10 अवगुणों-दोषों के साथ की। दिवाली कार्यक्रम के इस प्रथम अध्याय ने तार्किक मस्तिष्कों को आकर्षित कर ब्रह्मज्ञान के गूढ़ विज्ञान द्वारा भीतर के रावण का दहन करने के मार्ग पर प्रशस्त किया।
तत्पश्चात् श्रृंखला के अगले सत्र- Synchronised Dandiya and Garba में थिरकती चित्ताकर्षक ताल पर आनन्दमय विजय नृत्य करने का समय था। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने इस आनन्दोत्सव में पूरे उत्साह से भाग लिया। उनकी इस उत्साहपूर्ण भागीदारी ने संपूर्ण वातावरण को उल्लसित कर दिया। साथ ही साध्वी परमा भारती जी ने इस सांस्कृतिक नृत्य द्वारा प्रबंधन व अध्यात्म के गूढ़ पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस प्रस्तुति के अंर्तगत साध्वी जी ने गरबा नृत्य में गर्भदीप के महत्त्व, डांडिया नृत्य में देवी दुर्गा और महिषासुर के मध्य हुए युद्ध में निहित आध्यात्मिक संदेशों को भी उजागर किया।
किसी ने बहुत सुंदर कहा है- “विवेक के अभाव में धन-सम्पदा व्यर्थ है।“ इसी सूक्ति को सिद्ध करते हुए साध्वी मणिमाला भारती जी ने अगला सत्र- Ganpatized Laxmi Pujan प्रस्तुत किया। अद्भुत क्रियाकलापों (activities), वास्तविक जीवन पर आधारित Case Studies तथा शास्त्रीय साक्ष्यों से परिपूर्ण इस विलक्षण सत्र ने आगंतुकों के समक्ष ‘विवेक’ की आवश्यकता व महत्ता को प्रकाशित व प्रमाणित किया। लक्ष्मी जी (धन-सम्पदा) के साथ गणपति (विवेक) पूजन में छिपे मर्म को प्रकट किया।
इसी क्रम में अगला सत्र- Divinized Deepotsav! इस गूढ़ व रोचक सत्र को साध्वी तपेश्वरी भारती जी ने प्रस्तुत किया। उन्होंने भव्य ढंग से कार्यक्रम के मूल्य विषय- DIYAwali DIVYA-fied के मर्म को गहन प्रसंगों जैसे कि Macrocosmic Big-Bang vis-à-vis Microcosmic Big-Bang, अंतर्जगत की दीवाली में पूर्ण सद्गुरु की भूमिका.....आदि के माध्यम से उजागर किया। इसमें प्रदर्शित विभिन्न विश्लेषणात्मक प्रसंगों, ग्रंथों के उदाहरणों, तथा तात्विक प्रसंगों ने आगंतुकों को अभिभूत कर दिया।
इसके अतिरिक्त इन सत्रों के मध्य रोचक व ज्ञानवर्धक दृश्यों का मंचन कर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया गया। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज के समय में पटाखे ही दिवाली का पर्याय बन चुके हैं। प्रदूषण, श्वास-संबंधी विकार, कूड़े-करकट से भरपूर सड़कें- सभी पटाखों की ही देन है। AIIMS के डा. जी.सी.खिल्नानी के शब्दों में -“पटाखे हमारी रोग-प्रतिरोधन क्षमता को कमजोर करते हैं। तथा वाहनों व अन्य स्त्रोतों से निकले प्रदूषक तत्त्वों से भी अधिक प्रज्वलन उत्पन्न करते हैं।“ पटाखों से संबंधित इन खतरनाक आंकड़ों से शिक्षा लेते हुए साध्वी शैलासा भारती जी ने मनोरंजक व ज्ञानवर्धक अंशों के माध्यम से पर्यावरण व प्रकृति अनुकूल पटाखों से आनन्द प्राप्त करने के तरीके बताए। इन विलक्षण विकल्पों ने आगंतुकों को ‘प्रदूषण रहित, दम न घोंटने वाली व कूड़ा-करकट रहित’ दिवाली उत्सव मनाने की ओर प्रेरित किया।