गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित दिव्य ज्योति वेद मन्दिर एक शोध व अनुसंधान संस्था है जिसका एकमात्र ध्येय प्राचीन भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान द्वारा सामाजिक रूपांतरण करना है। वैदिक संस्कृति के प्रसार एवं वेद मंत्रोच्चारण की मौखिक परम्परा को स्थापित करने तथा संस्कृत भाषा को व्यवहारिक भाषा बनाने हेतु दिव्य ज्योति वेद मन्दिर देश भर में कार्यरत है। वैश्विक महामारी COVID-19 के लॉकडाऊन के समय से ही दिव्य ज्योति वेद मन्दिर द्वारा विश्व स्तर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी तथा संस्कृत संभाषण की वैश्विक स्तर पर नियमित कक्षाएं प्रारंभ की गई, जिनमें वेद मंत्रों के विशुद्ध व सस्वर उच्चारण को सिखाया गया। इसी शृंखला में 17 अप्रैल 2022 को शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी 17 बैचेस हेतु दीक्षान्त समारोह का आयोजन किया गया।
दीक्षांत समारोह में सम्मिलित 1750+ लाभार्थियों ने सफलता पूर्वक रुद्रीपाठ के अध्यायों एवं वेदमंत्रों के शुद्ध उच्चारण को सीखकर वैदिक संस्कृति के पुनर्जागरण में योगदान दिया। सुन्दर गुरु वंदना के गायन के माध्यम से कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। कार्यक्रम में कई रोचक गतिविधियों का आयोजन किया गया तथा सभी ने उत्साह के साथ गतिविधियों में भाग लिया। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के कई दृढ़ संकल्पित वेदपाठी महानुभावों ने अपने अनुभवों को सभी के साथ साँझा किया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए देश भर में संचालित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की शाखाओं की संचालिका- साध्वी बहनों ने रुद्रीपाठ से सम्बंधित अपने अनुभवों तथा चुनौतियों को श्रोतागणों के सम्मुख साँझा किया।
कार्यक्रम को समापन की ओर ले जाते हुए वेद मन्त्रों को न केवल बोलने व श्रवण करने अपितु उन्हें समझ कर आचरण में लाने पर बल दिया गया। दिव्य ज्योति वेद मन्दिर, सोशल मीडिया के माध्यम से कक्षाएं समाप्त होने के पश्चात भी वेद मंत्रों से सदैव जुड़े रहने एवं निरंतर अभ्यास करते रहने हेतु प्रेरित करती है। अंत में सभी श्रोतागणों, प्रचारकों, कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया एवं शांति पाठ के पाठन के पश्चात कार्यक्रम को विराम दिया गया।