श्री कृष्ण चरित्र से भक्तों को जागरूक करवाने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 23 से 29 दिसंबर 2019 तक वड़ोदरा, गुजरात में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा का वाचन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री पद्महस्ता भारती जी ने किया। भगवान कृष्ण के चरण कमलों में प्रार्थना द्वारा कथा का शुभारम्भ हुआ। संत समाज ने भक्ति के रहस्यों को भजनों के माध्यम से सरस रूप में भक्तों के समक्ष रखा।
साध्वी जी ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता दो शब्दों का योग है- भगवद का अर्थ है ‘भगवान’ और गीता का अर्थ है ‘गीत’। भगवान कृष्ण ने युद्धभूमि में अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान प्रदान किया था। भगवान श्री कृष्ण द्वारा प्रदत्त यह आध्यात्मिक रत्न प्रत्येक मानव को मोह से मुक्त करवाते हुए, भक्ति मार्ग की ओर अग्रसर करता है। श्रीमद्भगवद्गीता का उद्देश्य जीवात्मा को श्रेष्ठ जीवन के अनुपालन द्वारा वास्तविक स्वरूप से परिचित करवाते हुए, परम चेतना से एकाकार स्थापित करवाना है।
अपने सम्पूर्ण जीवन काल में भगवान् श्रीकृष्ण ने भक्ति और धर्म द्वारा मानव को शिक्षित करते हुए, समाज की सामूहिक चेतना पर अमिट छाप छोड़ी है। उनका जीवन अतीत, वर्तमान व आने वाले युगों के लिए दिव्य प्रेरणास्रोत है। श्री कृष्ण के दिव्य व्यक्तित्व से अभिभूत हो, असंख्य भक्त उनके जीवन व शिक्षाओं का अनुसरण कर रहे हैं। श्री कृष्ण रसावतार है इसलिए उन्होंने कविता, संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला और अन्य ललित कलाओं को नया आयाम देते हुए, जन-जन को आनंदित किया।
साध्वी जी ने कथा का वाचन करते हुए समझाया कि भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाएँ समाज के हर वर्ग के लिए उपयुक्त हैं। श्री कृष्ण द्वारा प्रदत्त आध्यात्मिक मार्ग ने अनेक दुष्टों व विकारों से ग्रसित लोगों को ईश्वरीय गंतव्य तक ले जाने में सहयोग किया। ईश्वर दर्शन द्वारा वास्तविक धर्म को धारण करते हुए, मानव को वास्तविक धर्म से परिचित करवाया।
साध्वी जी ने बताया कि भगवान् श्री कृष्ण का जीवन कारागार में जन्म से लेकर अतिम समय तक कठिनाईयों से भरा था, परन्तु वे विपरीत परिस्थितियाँ भी उनके महान लक्ष्य से उन्हें च्युत नहीं कर पाई। इसी प्रकार मानव को भी श्री कृष्ण की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए, हर विकट परिस्थिति में अपने महान लक्ष्य से विचलित नहीं होना चाहिए। उपस्थित भक्तों व श्रद्धालुओं ने डीजेजेएस द्वारा चलायी जा रही सामाजिक व आध्यात्मिक गतिविधियों की सराहना की व साथ अनेक लोगों ने संस्थान में अपना सहयोग देने की अभिलाषा को प्रगट किया।