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जागृत व अनुशासित अंतःकरण ही सशक्त मानव के निर्माण का आधार बनता है। इसीसंदेश पर आधारित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 2 अगस्त 2025 को ‘रगेलिया, द फॉरेस्ट रेसॉर्ट’, अमृतसर, पंजाब में एक भव्य भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शीर्षक था ‘तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु।

Devotional Concert at Amritsar, Punjab: A Spiritual Sojourn into Tanme Manah Shivsankalpamastu

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को भजनों, वैदिक मंत्रों व ज्ञानवर्धक प्रवचनों द्वारा आत्मिक जाग्रति का शाश्वत आध्यात्मिक संदेश प्रदान करना था। इस भजन संध्या ने अमृतसर व नजदीकी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में भक्तों व साधकों को आकर्षित किया।कार्यक्रम में पंजाब व देश भर से गणमान्य व्यक्तियों, स्थानीय नेताओं व जिज्ञासुओं की उपस्थिति भी देखी गई। 

कार्यक्रम की मुख्य प्रवक्ता थीं दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी। साध्वी जी ने मार्मिक प्रवचनों द्वारा समझाया कि संस्कृत शब्द ‘तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु’ समस्त मानव समाज के आगे, एक सार्वभौमिक अपील रखते हैं। ये शब्द ईश्वर के चरणों में अर्पित प्रार्थना को संबोधित करते हैं कि व्यक्ति का मन सत्कर्म, सकारात्मक व दिव्य संकल्पों के साथ जुड़ा रहे। दिव्यगुरु श्री आशुतोष महाराज जी के गायक शिष्यों ने सुमधुर एवं सारगर्भित भजनों द्वारासबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

Devotional Concert at Amritsar, Punjab: A Spiritual Sojourn into Tanme Manah Shivsankalpamastu

डीजेजेएस प्रतिनिधि ने भक्तों को स्मरण कराया कि आधुनिक युग में व्यक्तिगत शांति और वैश्विक सद्भाव के लिए मन को ‘शिव संकल्प’ के साथ जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। साध्वी जी ने समझाया कि शिव संकल्प शुभ कर्म व शुभ फल को जन्म देते हैं। अनुशासित मानसिकता के अभाव में मन क्रोध, लोभ, ईर्ष्या व नकारात्मकता से प्रभावित हो आंतरिक अशांति व सामाजिक असामंजस्य को जन्म देता है। वैदिक संदर्भों, प्राचीन उपाख्यानों व आधुनिक जीवन के समानांतरों से गुंथे प्रवचनों ने कार्यक्रम के संदेश को प्रत्येक हृदय व बुद्धि तक पहुँचाया।   

श्री आशुतोष महाराज जी के शब्दों को उद्धृत करते हुए, साध्वी जी ने इस बात पर बल दिया कि जीवन की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में ब्रह्मज्ञान द्वारा दिव्य चेतना से जुड़ा मन ही स्थिर व उदार रह सकता है। ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मा का प्रत्यक्ष साक्षात्कार ही मन को ईश्वर से जोड़ता है। इसके अभाव में मन अशांत रहता है, भले ही वह बाहर से कितना ही अनुशासित क्यों न दिखे। वास्तविक जीवन के उदाहरणों से ओतप्रोत साध्वी जी के शब्दों ने उपस्थित श्रद्धालुओं के हृदयों पर गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे इस मंत्र को मात्र एक अनुष्ठान के रूप में न लेकर, इसे जीवन में उतारें व अपने प्रत्येक विचार, निर्णय व कार्य को शुभ संकल्प का प्रतिबिंब बनाएँ। 

भजन संध्या कार्यक्रम ने बड़ी संख्या में स्थानीय व क्षेत्रीय प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का ध्यान आकर्षित किया। इससे कार्यक्रम के संदेश, अर्थात् ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से आंतरिक रूपांतरण, की व्यापकता बढ़ी। उपस्थित श्रद्धालुओं ने संस्थान केप्रयासों की मुक्त कंठ से सराहना की।

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