आधुनिक जीवन में शाश्वत आध्यात्मिक ज्ञान को पुनः जागृत करने और दिव्यता के रत्नों को आत्मसात करने के लिए समाज को प्रेरित करने हेतु, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के दिव्य मार्गदर्शन में 23 अगस्त 2025 को चंडीगढ़, केंद्र शासित प्रदेश में ‘भज गोविंदम’ विषय पर एक दिव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। यह आयोजन केवल एक संगीतमय कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह आध्यात्मिक जागृति की लहर लेकर आया था जिसने भक्ति संगीत व ग्रंथों-शास्त्रों के गूढ़ ज्ञान का ऐसा अनुपम सम्मिश्रण प्रस्तुत किया जिसने प्रत्येक आत्मा को 'दिव्य ज्ञान' के शाश्वत मार्ग की ओर अग्रसर कर दिया। इस भजन संध्या कार्यक्रम में शिक्षाविदों, समाजसेवियों, आध्यात्मिक विद्वानों और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों जैसे अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का शुभारम्भ भावपूर्ण मंगलाचरण से हुआ, जिसके पश्चात् 'भज गोविंदम्' विषय पर आधारित भजनों की एक सुमधुर श्रृंखला प्रस्तुत की गई। प्रत्येक भजन संसारिक वस्तुओं की क्षणभंगुरता और ईश्वर की प्राप्ति के लिए अंतर्मुखी होने की आवश्यकता का संदेश दे रहा था। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य-गणों द्वारा विभिन्न वाद्ययंत्रों और सामूहिक गायन से सजाए गए संगीतमय प्रस्तुतीकरण ने वातावरण को भक्ति से ओत-प्रोत कर दिया और प्रत्येक श्रोता के हृदय को छू लिया।
डीजेजेएस की प्रतिनिधि साध्वी श्रेया भारती जी ने ब्रह्मज्ञान के गूढ़ और अलौकिक विज्ञान को अत्यंत सुंदरता से विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया और साधकों को ‘ब्रह्मज्ञान’ के शाश्वत ज्ञान की ओर मार्गदर्शित किया। साध्वी जी ने उदाहरणों और ग्रंथों-शास्त्रों के संदर्भों से यह स्पष्ट किया कि अहंकार, धन और सांसारिक मोह-माया मुक्ति का मार्ग नहीं हैं अपितु केवल भक्ति और आत्म-साक्षात्कार के समन्वय से ही ‘मोक्ष’ अथवा सच्ची मुक्ति संभव है।

साध्वी जी ने कहा कि आज के तीव्र-गतिमान भौतिकवादी युग में, जहाँ चिंता और पदार्थवाद हावी हैं, वहाँ भौतिक वस्तुओं और प्रतिष्ठा की होड़ में मनुष्य अपने मूल अपनी शाश्वत आत्मा को भूल जाता है। ऐसे में एक सशक्त मार्गदर्शक की आवश्यकता और भी अधिक बढ़ गई है। अतः ‘भज गोविंदम’ मानवता के लिए एक जागृति का स्वर है, जो हमें माया से परे परमात्मा की खोज करने के लिए प्रेरित करता है।
साध्वी जी ने अंत में कहा कि सच्ची आध्यात्मिकता तभी प्रारंभ होती है जब साधक एक तत्ववेत्ता गुरु की कृपा से अपने भीतर ‘दिव्य प्रकाश’ का अनुभव करता है। और जब एक व्यक्ति ‘ब्रह्मज्ञान’ में दीक्षित हो, जागृत हो जाता है, तब उसकी विचारधारा, कर्म एवं मूल्य परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे परिवार, समाज और राष्ट्रों में समरसता और सद्भावना का संचार होता है। उन्होंने यह भी बताया कि दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में डीजेजेएस संगीत, प्रेरणादायी प्रवचनों और ध्यान की सनातन पद्धति के माध्यम से साधकों को जागृत कर रहा है।
कार्यक्रम को स्थानीय समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने व्यापक रूप से कवर किया। मीडिया प्रतिनिधियों ने डीजेजेएस के प्रयासों की सराहना की कि किस प्रकार संस्थान ने भक्ति संगीत समारोहों को आध्यात्मिक एवं सामाजिक परिवर्तन के मंच के रूप में प्रस्तुत किया है। उपस्थित साधकों एवं श्रद्धालुओं ने भी अपने अनुभव साझा किए, जिनमें आतंरिक शांति, प्रेरणा और स्पष्टता के भाव प्रमुख थे। ‘भज गोविंदम्’ के सामूहिक गायन ने सभी को एक सहभाजित आध्यात्मिक यात्रा से जोड़ते हुए प्रत्येक उपस्थित ह्रदय को समृद्ध किया।