भक्ति और धर्म को परम वास्तविकता बताते हुए भगवान कृष्ण ने दुनिया को फिर से जागृत किया और मानव जाति की सामूहिक चेतना पर अपनी अमित छाप छोड़ी। आध्यात्मिकता के प्रचार-प्रसार और विश्व-व्याप्त भौतिकवाद के दर्शन को खत्म करने के लिए ही उनका अवतरण इस धरती पर हुआ। उन्होंने पृथ्वी पर धर्मराज्य और आंतरिक कानून का राज्य स्थापित किया। उन्होंने क्षत्रिय वीरता की सच्ची भावना को बहाल किया, जो अहंकार से प्रेरित नहीं बल्कि दिव्य प्रेरणा से प्रेरित है जिससे मनुष्य परमेश्वर के हाथों का समर्पित और सक्रिय साधन बन पाता है। उन्होंने मानवीय चेतना को सर्वोच्च सत्य से जुड़कर हर पहलू, हर क्षेत्र में पूरी तरह से दिव्य बनने के लिए निर्देशित किया।
जीवन के उद्देश्य के बारे में लोगों के बीच आध्यात्मिक जागरूकता लाने के लिए, श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक व संचालक- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान) के मार्गदर्शन के तहत पंजाब, पटियाला में 23 जून, 2018 को “भज गोविंदम” भक्ति संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम ने दिव्य आध्यात्मिक प्रेरणाओं और ईश्वरीय आराधना के भावों से भरे भजनों की दिव्य श्रृंखला के माध्यम से श्रोताओं को आंतरिक जागरूकता अनुभव करने के लिए प्रेरित किया।
आध्यात्मिक वक्ता के तौर पर उपस्थित श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुमेधा भारती जी ने श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं और संदेशों से दर्शकों को परिचित करवाया। कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान, श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का दिव्य आध्यात्मिक उपदेश प्रदान कर प्रज्ञा, समर्पण और विवेक का आध्यात्मिक मार्ग प्रदर्शित किया। मानव जाति के लिए श्रीकृष्ण का प्रमुख संदेश इच्छा विहीन कर्म करना रहा, जो कि मानव अहंकार से प्रेरित नहीं बल्कि मानव जीवन के अंतिम लक्ष्य के लिए दिव्य सत्ता ईश्वर द्वारा प्रेरित हो। जहाँ सत्य की खोज और प्राप्ति का भाव प्रबल हो न कि स्वर्गिक सुख प्राप्ति का। जो आत्मा जागृत नहीं है उनके लिए जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझना असंभव है और यह सब व्यक्ति को नकारात्मकताओं, अस्पष्टताओं और भ्रमजाल में फंसता है जिससे जीवन और भविष्य के बारे में विभिन्न भ्रम पैदा होते हैं। पूर्ण आध्यात्मिक सतगुरु द्वारा दिए गए सच्चे ज्ञान के दैवीय ओज के माध्यम से इस तरह की नकारात्मकताओं को आसानी से अनन्त सकारात्मकता में बदला जा सकता है, जो जीवन में आशा, खुशी और समृद्धि का नया प्रकाश लाती है।
साध्वी जी ने आगे कहा कि यह युग भाग्यशाली है कि वह पूर्ण आध्यात्मिक गुरु श्री आशुतोष महाराज जी जैसे आध्यात्मिक सतगुरु से सम्मानित है, जो कि आध्यात्मिक जिज्ञासुओं को ब्रह्मज्ञान प्रदान करते हैं। उनके दिव्य दिशा-निर्देश सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन के लिए प्रेरणा सूत्र हैं, फिर जिज्ञासु उनके आशीर्वाद से जीवन के हर पल का आनंद उठा पाता है। इस कार्यक्रम को “ब्रह्मज्ञान- आंतरिक परिवर्तन का विज्ञान” के संदेश के साथ सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।
इस प्रकार कार्यक्रम आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए तृप्ति का संदेश लेकर प्रस्तुत हुआ। साथ ही कार्यक्रम ने लोगों के भीतर से दुर्भावनाओं को दूर कर उन्हें सकारात्मकता से ओत-प्रोत होने में मदद की।