भक्तों को आध्यात्मिकता से जोड़ने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के दिव्यमार्गदर्शन में 10, 11, 12, 14 & 15 फरवरी 2025 को महाकुंभ, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यक्रम में भावपूर्ण भजनों को आध्यात्मिक व्याख्यानों सहित प्रस्तुत किया गया जिससे एक दिव्य और अलौकिक वातावरण बन गया। कार्यक्रम ने असंख्य श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें रुककर जीवन के गूढ़ अर्थ व उद्देश्य पर विचार करने हेतु आमंत्रित किया।

गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों एवं शिष्याओं ने अपने विचारों को साझा करते हुए समझाया कि हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में लगातार भौतिक कार्यों में व्यस्त रहने के कारण अपनी आत्मा की आंतरिक पुकार की उपेक्षा कर देते हैं, जो परमात्मा के साथ जुड़ने की इच्छा रखती है। उन्होंने सांसारिक इच्छाओं की तुलना गहन वन के साथ करते हुए कहा कि हम जितना अधिक इन छोटी-छोटी इच्छाओं के पीछे भागेंगे उतनी ही बड़ी नई इच्छाएं सामने आती रहेंगी और हमें एक अंतहीन चक्र में फँसाती रहेंगी। अग्नि में ईंधन डालने की तरह यह चक्र मज़बूत होता जाएगा और इससे बचना अधिक कठिन हो जाएगा। जब तक हमें यह अहसास होगा कि सच्चा सुख व शांति भौतिक चीजों में नहीं मिल सकती तब तक हमारा अधिकांश जीवन बीत चुका होगा। डीजेजेएस के भजन संध्या व अन्य आध्यात्मिक कार्यक्रमों का उद्देश्य व्यक्तियों को अपने भीतर शांति के दिव्य स्रोत से पुनः जोड़ने में सहायता करना है, ताकि लगातार बाहर सुखों को तलाशने की बजाय हम सच्ची संतुष्टि के लिए अपने भीतर देख सकें।
आज विश्व को आध्यात्मिकता की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है। जीवन की तेज़रफ़्तार, तनाव व निरंतर प्रतिस्पर्धा के कारण लोगों को जीवन के वास्तविक उद्देश्य पर विचार करने के लिए शायद ही समय मिल पाता है। रुककर स्वयं से यह पूछना महत्वपूर्ण है कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है? हम किसके लिए प्रयास कर रहे हैं? हमें स्थायी आनंद कहाँ मिल सकता है? और हम इच्छा, भय व पीड़ा के कभी न समाप्त होने वाले चक्र को कैसे रोक सकते हैं?

डीजेजेएस प्रवक्ताओं ने समझाया कि अध्यात्म वह मधुर अमृत है जो हमें जीवन के बंधनों से मुक्ति प्रदान करता है। परंतु अध्यात्म से वास्तविक लाभ उठाने हेतु हमें एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु के मार्गदर्शन व आशीर्वाद की आवश्यकता है। हमारे प्राचीन ग्रंथ स्पष्ट रूप से बताते हैं कि आंतरिक आध्यात्मिक यात्रा केवल पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की दिव्य कृपा से प्रारंभ हो सकती है, जो ब्रह्मज्ञान के शाश्वत ज्ञान को प्रदान करते हैं- एक सनातनविधि जो युगों से चली आ रही है।
भजन संध्या कार्यक्रम ने अध्यात्म के महत्व को उजागर किया और ग्रंथों में निहित उचित विधि का पालन करते हुए सभी को अपने दैनिक जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाने हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम ने यह स्मरण करवाया कि शांति, सुख व मुक्ति का मार्ग सदैव उपलब्ध है जिसे सही मार्गदर्शन द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।