भक्ति संगीत की रूपांतरण शक्ति से भक्तों को परिचित कराने और शाश्वत भक्ति केवास्तविक सार को समझाने के उद्देश्य से, ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ (डीजेजेएस) द्वारा29 जनवरी 2025 को प्रयागराज के पवित्र महाकुंभ में एक अद्भुत ‘भजन संध्या’ काआयोजन किया गया। 'भक्ति संगीतमय समारोह' आध्यात्मिक संगीत और प्रबुद्ध प्रवचनोंका एक अद्भुत संगम था, जिसने विश्व के विभिन्न कोनों से एकत्रित सैकड़ों श्रद्धालुओं केहृदयों को गहराई से स्पर्श किया और उन्हें आंतरिक शांति एवं उच्च चेतना से गहरे जुड़ावका एक समृद्ध अनुभव प्रदान किया। डीजेजेएस के संस्थापक एवं संचालक, गुरुदेव श्रीआशुतोष महाराज जी के प्रचारक एवं संगीतज्ञ शिष्यों द्वारा ऐसे भक्ति गीत प्रस्तुत किएगए जो दिव्य प्रेम और समर्पण की महिमा को संजोए हुए थे।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण डीजेजेएस प्रतिनिधि साध्वी शैब्या भारती जी द्वारा दिया गयाविचारोत्तेजक प्रवचन था। वक्ता ने विस्तार से बताया कि भक्ति संगीत मानव आत्मा औरपरमात्मा के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है। साध्वी जी ने समझाया कि सच्चीउपासना केवल विधि-विधानों और अनुष्ठानों तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह भक्ति औरध्यान के माध्यम से भीतर स्थित दिव्यता से जुड़ने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि भक्तिसंगीत में चंचल मन को शांत करने, आंतरिक शांति जगाने और साधकों को आत्मज्ञान कीओर मार्ग दर्शित करने की क्षमता होती है।
भजन संध्या का मुख्य विषय सच्ची उपासना की महत्ता को समझना था। डीजेजेएसप्रतिनिधि ने बताया कि पूजा केवल बाह्य अनुष्ठानों और प्रतीकात्मक अर्पणों तक सीमितनहीं होनी चाहिए, बल्कि यह ‘आत्मबोध’ और गहरी भक्ति के माध्यम से परमात्मा सेव्यक्तिगत संबंध स्थापित करने की प्रक्रिया होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जब संगीतभक्ति से ओतप्रोत होता है, तब यह शब्दों से परे जाकर एक सार्वभौमिक भाषा बन जाताहै, जो संपूर्ण मानवता को दिव्यता से जोड़ता है। प्रस्तुत भजनों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करदिया, और वे तालियों, भजनों और भक्ति से छलकते आंसुओं के साथ इसमें सम्मिलित होगए।

डीजेजेएस प्रवक्ता ने कहा कि सच्ची उपासना में विचारों और कर्मों की पवित्रता, विनम्रताऔर समर्पण की आवश्यकता होती है। हृदय से की गई उपासना सांसारिक बंधनों से परेजाकर आंतरिक शांति और संतोष प्रदान करती है। उन्होंने उपस्थित भक्तों को निःस्वार्थसेवा, सत्यनिष्ठा और ‘ब्रह्मज्ञान’ के सिद्धांतों को सच्ची उपासना के मार्ग के रूप में अपनानेहेतु प्रेरित किया।
सच्ची भक्ति के महत्व को स्पष्ट करते हुए, डीजेजेएस प्रतिनिधि ने कहा कि भक्ति केवलबाह्य अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मज्ञान की दिशा में की गई एक आंतरिकयात्रा है। जब भक्ति संगीत के साथ यह आंतरिक उपासना जुड़ती है, तो यह एक पूर्णअनुभव बन जाता है, जहाँ भक्त हृदय और मन दोनों से परमात्मा से जुड़ता है। उन्होंने बलदेते हुए कहा कि बाहरी अनुष्ठानों से आगे बढ़कर, सच्ची उपासना एक मानसिक अवस्था है, जहाँ साधक भीतर स्थित ईश्वरीय सत्ता को पहचानता है।
अंत में, डीजेजेएस प्रतिनिधि ने कहा कि संगीत एक दिव्य साधन है, लेकिन आत्मज्ञानअंततः सत्य के प्रत्यक्ष अनुभव से ही संभव होता है। यह अनुभव, एक पूर्ण गुरु द्वारा प्रदानकिए गए ‘ब्रह्मज्ञान’ के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जो आत्मबोध का आधार है।
निस्संदेह, ‘भजन संध्या’ ने प्रतिभागियों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा पर विचार करने केलिए प्रेरित किया, जिससे बाहरी प्रथाओं से परे आंतरिक रूपांतरण की भावना जागृत हुई।इस आयोजन को प्रिंट और डिजिटल मीडिया में भी व्यापक सराहना मिली, जहांडीजेजेएस के इस प्रयास को आध्यात्मिक सौहार्द और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण कोबढ़ावा देने वाले आयोजन के रूप में सराहा गया।