जनमानस में आंतरिक दिव्यता और देशभक्ति की भावना को जागृत करने हेतु, दिव्य ज्योतिजाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवंसंचालक, डीजेजेएस) की अनुपम प्रेरणा से, 27 जुलाई 2025 को पंजाब के जालंधर मेंभव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रीय चेतना औरआंतरिक परिवर्तन को भक्ति संगीत एवं सारगर्भित व्याख्यानों के माध्यम से जागृत करनाथा| इसमें विशेष रूप से युवाओं को आध्यात्मिक रूप से जागरूक और सामाजिक रूप सेजिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया गया|

कार्यक्रम का शुभारम्भ डीजेजेएस के निःस्वार्थ कार्यकर्ताओं और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण गुरुदेव के शिष्यों द्वारा रचित एवं संगीतबद्ध की गई प्रस्तुतियों की श्रृंखला से हुआ। आत्माको झकझोर देने वाले प्रेरणादाई भजनों में ईश्वर के प्रति भक्ति और राष्ट्र के प्रति प्रेम कासुंदर समन्वय था। प्रत्येक भजन में एकता, बलिदान और आध्यात्मिक जागृति का सशक्तसंदेश समाहित था, जो केवल ईश्वर के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए भी भक्ति की भावनाको व्यक्त करता नज़र आया।
इस भजन संध्या कार्यक्रम की वक्ता डीजेजेएस प्रतिनिधि साध्वी गरिमा भारती जी थीं| उन्होंने अपने प्रेरणादायक प्रवचनों में राष्ट्र की सेवा को आध्यात्मिक जागरण से जोड़ते हुएकहा कि "आंतरिक परिवर्तन ही समाज सुधार का बीज है।" उनके शब्दों ने श्रोताओं मेंदेशभक्ति और जीवन के उद्देश्य की गहरी भावना उत्पन्न की।

‘राष्ट्र आराधन’ विषय पर विस्तार से बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि ईश्वर की सच्चीभक्ति बिना देशभक्ति के अधूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि "ब्रह्मज्ञान" ही वह प्रामाणिकआध्यात्मिक विरासत है जो राष्ट्र की नैतिक और सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित करसकती है। उन्होंने कहा कि भारत की असली ताकत उसकी सद्धर्मिक परंपरा में है, न किउसकी सेना या अर्थव्यवस्था में। इसलिए भारत को पुनः ‘जगद्गुरु’ बनाने के लिए इस आध्यात्मिक ज्ञान “ब्रह्मज्ञान” को प्रत्येक नागरिक में प्रकट करना होगा| केवल तभी भारतवास्तव में विश्व में शांति और समरसता का मार्गदर्शन कर सकेगा।
डीजेजेएस प्रतिनिधि ने बताया कि सच्चे राष्ट्र-निर्माण की शुरुआत भीतर से होती है-जागरूक, सजग नागरिकों से, जो आध्यात्मिक आदर्शों द्वारा मार्गदर्शित होते हैं। युवा पीढ़ीका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अपने युवा वर्ग पर विश्वास किया हैकि वे अपने शांति, बलिदान और नैतिक साहस की विरासत को आगे बढ़ाएंगे। हालांकि, आज की युवा पीढ़ी नशे, भोगवाद, और उद्देश्यहीनता जैसी चुनौतियों का सामना कर रहीहै। इसका समाधान भी ‘ब्रह्मज्ञान’ के माध्यम से आत्मिक-जागरण में निहित है| वह दिव्यज्ञान जो केवल एक पूर्ण गुरु ही प्रदान कर सकते हैं।
सच्चे अर्थों में, भक्ति संगीत ने नि:स्वार्थ सेवा, एकता और सांस्कृतिक गर्व को पूजा के रूपमें प्रस्तुत किया और नागरिकों से अपनी व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर राष्ट्र केसर्वांगींण विकास के लिए कदम उठाने का आह्वान किया। श्रोताओं ने डीजेजेएस के इसप्रयास की सराहना करते हुए आयोजन के प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रकट की। इस तीव्रता सेबदलती दुनिया के बीच यह कार्यक्रम संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति सम्मान कोपुनर्जीवित करने वाला रहा।