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राम राज्य के स्वप्न को साकार करने हेतु भगवान श्रीराम के उत्तम चरित्र को जानना व अनुसरण करना आवश्यक है। इसी हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 17 से 21 मई 2023 तक तरनतारन, पंजाब में भव्य श्री राम कथा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में कथा व्यास साध्वी रूपेश्वरी भारती जी ने गूढ़ व आत्मप्रेरक कथा प्रसंगों की व्याख्या की। सुमधुर भजनों ने भक्तों के हृदयों को भगवान के पवित्र प्रेम से सराबोर किया।

Divine saga of Shri Ram Katha promulgated the need of Perfect Master in life of a devotee at Tarn Taran, Punjab

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का सम्पूर्ण व्यक्तित्त्व ही अनुकरणीय है, जो कि अतुलनीय मानव मूल्यों, अत्यंत पवित्रता, सरलता, संतोष और त्याग जैसे उत्तम गुणों का पर्याय है। जो मानव को धर्म और भक्ति के अनुसार जीने की शिक्षा देता है। उन्होंने अत्यंत कष्टदायी परिस्थितियों में भी शांतिपूर्ण और सौम्य रहने का एक आदर्श प्रस्तुत किया जो इतने युगों के बाद, आज भी अद्वितीय है।

साध्वी जी ने समझाया, भगवान श्रीराम के जीवन को गहराई से देखने पर समझ में आता है कि ‘राम राज्य’ शाश्वत ब्रह्मज्ञान द्वारा लाई गई विशाल आध्यात्मिक लहर का ही परिणाम था। और यह केवल तभी संभव हो पाया जब भगवान श्रीराम एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु के रूप में प्रकट हुए। सतगुरु वे होते हैं जो एक प्राणी को अंधकार से उजाले में ले जाते हैं। आंतरिक जागृति के माध्यम से ही भगवान श्रीराम ने सतगुरु की भूमिका में अपने शिष्यों पर मूर्तिकार के रूप में काम किया और उन्हें सत्य, समर्पण, भक्ति और धार्मिकता की मिसाल बना दिया|

Divine saga of Shri Ram Katha promulgated the need of Perfect Master in life of a devotee at Tarn Taran, Punjab

सेवा और ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान के साथ-साथ भगवान श्रीराम की अनुपम कृपा से उनके भक्त दोषमुक्त हुए और सर्वोत्तम गुणों के धनी बने। साध्वी जी ने आगे रामायण की एक घटना का उल्लेख करते हुए सेवा के महत्व को समझाया, जिसमें वानर सेना द्वारा राम सेतु का निर्माण हुआ था। परन्तु सेतु अभी भी उपयोग करने के लिए उपयुक्त नहीं था। फिर भगवान राम ने समुद्र में वास कर रहे जीवों को पुल को सहारा देने का आदेश दिया। एक शिष्य द्वारा यह प्रश्न करने पर कि जब भगवान कुछ भी संभव करने के लिए सर्वशक्तिशाली हैं, तो उन्होंने सभी से इतनी मेहनत क्यों करवाई; तब भगवान ने उत्तर दिया कि नि:स्वार्थ सेवा वह नींव है जिसके आधार पर वे भक्तों पर अपनी असीम कृपा बरसाते हैं।

परम पूजनीय गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी इस युग के ऐसे पूर्ण गुरु हैं जो साधकों को आत्मा के अंतरतम क्षेत्रों तक पहुँचाने और असंख्य प्राणियों को बदलने के लिए ब्रह्मज्ञान प्रदान कर रहे हैं। कथा के प्रवाह और डीजेजेएस के प्रयासों से उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हुए। बहुत से जिज्ञासु ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करने और अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने के लिए आगे आए। कथा में पधारे विशिष्ट अतिथियों ने समाज में परिवर्तन की दिशा में संस्थान द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की और अपना समर्थन भी दिया।

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