दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा अभावग्रस्त वर्ग हेतु शिक्षा प्रकल्प ‘मंथन’- संपूर्ण विकास केंद्रसम्पूर्ण विकास केन्द्र द्वारा असम राज्य के डिब्रूगढ़ ज़िले के चाउल खोवा, बोगीबील में एक नवीन सम्पूर्ण विकास केन्द्र प्रारंभ किया गया। इस हेतु डिब्रूगढ़ में दो वृहद् कार्यक्रमों को आयोजित किया गया। 17 मार्च 2024 को ‘मन्थनोत्सव’ कार्यक्रम का आयोजन चमरिया हॉल , झालुकपारा रोड, डिब्रूगढ़ में आयोजित किया गया व मंथन- सम्पूर्ण विकास केन्द्र उद्घाटन समारोह 19 मार्च 2024 को चाउल खोवा, बोगीबील, डिब्रूगढ़ में पारंपरिक भव्यता से किया गया।
इन दोनों कार्यक्रमों में शिक्षा जगत से जुड़े समाज के गणमाननिय प्रतिनिधि, कार्यकर्ता, असम राज्य के प्रवासी आदिवासी जनजाति समाज एवं मंथन के छात्रों के अभिभावक व ग्राम समुदाय भी सम्मिलित हुए।
असम में प्रथम मंथन- सम्पूर्ण विकास केन्द्र के आरंभ को उत्सव के रूप में सभी ने हर्षोल्लास के साथ मनाया जिसमें असम के लोक नृत्य- बीहू, लोक गीत, एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को मंथन के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के मुख्यालय दिल्ली से मंथन प्रकल्प की संयोजिका साध्वी दीपा भारती जी द्वारा की गई। साथ ही कार्यक्रम में साध्वी देवेशी भारती, शाखा प्रमुख, डिब्रूगढ़, असम, साध्वी ममता भारती जी, साध्वी आकांक्षा भारती जी एवं स्वामी हरिभक्तानन्द जी भी उपस्थित रहे। संस्कार युक्त शिक्षण द्वारा ही व्यक्ति का समग्र विकास संभव है- अतः मंथन संस्कारशाला से जुड़े बच्चों द्वारा भी विद्यालय उद्घाटन समारोह में प्रकृति व संस्कारों के संरक्षण का संदेश देती एक संस्कारयुक्त प्रस्तुति भी की गई।
मंथन- सम्पूर्ण विकास केन्द्र का उद्घाटन समारोह वैदिक परंपरा अनुसार दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के ब्रह्मज्ञानी वेद- पाठियों द्वारा किया गया। पारंपरिक बीहू नृत्य, समूह गान , रोचक गतिविधियों के बीच मोलीबंधन उद्घाटन भी मंथन के विद्यार्थियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में बच्चों को यूनिफार्म, शिक्षा सामग्री इत्यादि भी वितरित किए गए। आरंभ में ही 140 से अधिक बच्चों का एडमिशन प्राथमिक कक्षाओं में सफलतापूर्वक किया गया।
चाउल खोवा के इस अति-पिछड़े क्षेत्र में नवीन मंथन सम्पूर्ण विकास केन्द्र की पहुँच एक अत्यन्त प्रशंसनीय पहल है। इस पहल से आदिवासी मिसिंग एवं अन्य अभावग्रस्त जनजातियों के बच्चों को शिक्षा का सामान्य अधिकार मिल सकेगा एवं वे भी शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे। इस पहल से बच्चे, उनके अभिभावक व ग्राम समुदाय अत्यंत प्रफुल्लित थे व सभी ने दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के चरणों में कोटि वन्दन अर्पित किया व इस प्रयास की की भूरी-भूरी प्रशंसा की ।