गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक व संचालक, डीजेजेएस) की दिव्य अनुकम्पा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 8 से 14 जनवरी, 2024 तक श्री जगन्नाथ पुरी तीर्थ धाम, (पुरी, ओडिशा) में आनंद यात्रा 2024 के निमित्त 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। श्री जगन्नाथ पुरी का मंदिर भारत के चार धामों में से एक पवित्र धाम है। भारत के ओडिशा में स्थित इस भव्य मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गंगा राजवंश के प्रसिद्ध राजा अनंत वर्मन चोदगंगा देव ने पुरी के समुद्र तट पर करवाया था। कथा से एक दिन पूर्व, 7 जनवरी, 2024 को मंगल कलश यात्रा का आयोजन किया गया। सैकड़ों सौभाग्यवती महिलाओं ने अपने सिर पर मंगल कलश उठाकर इस यात्रा में भाग लिया| उनके द्वारा लगाए गए नारों और जयकारों से सामाजिक-अध्यात्मिक जागरूकता पैदा हुई और जीवन के परम उद्देश्य को प्राप्त करने की प्रेरणा प्राप्त हुई|
श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या, कथा व्यास साध्वी आस्था भारती जी ने जनमानस को अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों को समझाने के लिए बहुत सरल और प्रभावशाली शैली में ग्रन्थ-शास्त्रों से उद्धृत श्लोकों के साथ कथा का वाचन किया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण सबके हैं| प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों के लिए वे आदर्श हैं। यूँ तो अपने बाल्यकाल से ही श्रीकृष्ण को अनगिनत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, परन्तु उनके मुखमंडल से मुस्कान कभी कम नहीं हुई। उन्होंने एक पुत्र, राजा, पिता, आध्यात्मिक गुरु के रूप में अपने सभी कर्तव्यों का उत्तम रूप से निर्वहन किया और विश्व को शाश्वत भक्ति का मार्ग दिखाया। एक व्यक्ति अध्यात्म से मिलने वाले शाश्वत आनंद में रहते हुए किस प्रकार सांसारिक-सामाजिक कर्तव्यों को भी उत्तम ढंग से पूर्ण कर सकता है, यह श्रीकृष्ण ने सिखाया है| भगवान श्री कृष्ण के विषय में समाज में कई मिथ्या धारणाएं प्रचलित हैं, जिनमें सबसे बड़ी धारणा यह है कि उन्होंने जानबूझकर महाभारत के युद्ध को नहीं रोका| जबकि सत्य यह है कि केवल वे ही थे जिन्होंने इसे रोकने के हर संभव प्रयास किये थे| उन्होंने दुर्योधन के साथ संधि करने का प्रयास किया। उसे अपना शाश्वत भगवत स्वरूप तक दिखाया, परन्तु दुर्योधन सत्य सामने होते हुए भी समझ नहीं पाया और अपने सैनिकों को श्री कृष्ण को बंदी बनाने का आदेश देने की भूल कर बैठा। कथा व्यास ने श्रीकृष्ण से जुड़े कईं तथ्य सामने रखे और समाज में फैली विभिन्न धारणाओं का खंडन किया।
श्री कृष्ण ने मानव जाति को "श्रीमद्भगवद गीता" के माध्यम से जीवन जीने की वास्तविक कला सिखाई, जिसे मानव जीवन की सभी समस्याओं के एकमात्र समाधान के रूप में देखा जाता है। गीता में वर्णित अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच आरंभिक वार्तालाप से कोई भी आसानी से यह पता लगा सकता है कि अर्जुन कितने हताश, निराश, अवसाद की अवस्था में थे। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को शाश्वत ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) प्रदान कर उसे विषाद मुक्त कर दिया।
आज, श्री आशुतोष महाराज जी शास्त्रों में वर्णित शाश्वत ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) के उन्हीं बीजों का प्रसार कर रहे हैं, जो हर काल और हर युग में सच्चे आध्यात्मिक गुरुओं ने अपने शिष्यों को दिए हैं। लाखों लोगों ने ब्रह्मज्ञान के नियमित अभ्यास से सामाजिक-आध्यात्मिक स्तर पर अनगिनत लाभ प्राप्त किए हैं| अब वे बड़ी सरलता से अपने अंतर में स्थित शांति के अनंत सागर में गहरा उतरते हैं, जो आज के युद्धों, अपराधों और घृणा से भरे समाज को परिवर्तित करने के लिए अति आवश्यक है। इस कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथियों ने भी भाग लिया।
कथा व्यास ने सरल भाषा में धर्मग्रंथों का दिव्य संदेश देकर कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया ताकि जन मानस भी शांति और दिव्यता का अनुभव कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि डीजेजेएस के द्वार सत्य के साधकों और भगवान के भक्तों के लिए सदा खुले रहेंगे। उपस्थित लोगों ने डी.जे.जे.एस के साधू शिष्य व साध्वी शिष्याओं द्वारा धर्मग्रंथों के उपयुक्त उद्धरण के साथ प्रस्तुत की गई कथा और मन को शांति प्रदान करने वाले सुमधुर भजनों की बहुत सराहना की|