डीजेजेएस (दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान) ने इंडिया ट्रेड प्रमोशन आर्गनाइजेशन द्वारा 25 फरवरी से 5 मार्च 2023, प्रातः 11 से लेकर रात्रि 8 बजे तक प्रगति मैदान, नई दिल्ली में चलने वाले ‘नक्षत्र मेला 2023’ में हाल नंबर 7ABC, स्टॉल नंबर 07-15-I-J में भाग लिया।
श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के समर्पित प्रचारकों व शिष्यों ने ब्रह्मज्ञान के संदेश को पुस्तक मेले में उपस्थित आगंतुकों तक पहुँचाने हेतु निःस्वार्थ रूप से अपने समय व पुरुषार्थ द्वारा योगदान दिया। ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान-साधना किस प्रकार जीवन के प्रत्येक पड़ाव पर महत्वपूर्ण है, उन्होंने आगंतुकों को समझाया। हमारे शास्त्रों में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो दर्शाते हैं कि गुरुकुल में बच्चों को अन्य विषयों के साथ-साथ दिव्य ज्ञान की दीक्षा भी प्रदान की जाती थी क्योंकि उसे जीवन का मौलिक निर्माण खंड माना जाता था। शिष्यों ने आगंतुकों को बताया कि समय के पूर्ण सतगुरु से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर नियमित ध्यान-साधना करने से मनुष्य अपने भीतर अपार शांति व आनंद का अनुभव करता है, जिसकी तुलना किसी भी भौतिक सुख से नहीं की जा सकती। आज प्रत्येक व्यक्ति अवसाद, क्रोध जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। ब्रह्मज्ञान इन सभी समस्याओं का पूर्णतः निश्चित समाधान है क्योंकि यह सभी समस्याओं के मूल कारण- मानव मन पर कार्य करता है। स्टॉल का मुख्य आकर्षण बना डीजेजेएस का साहित्य जैसे सर्च ऑफ ट्रुथ, समाधि, अखंड ज्ञान, दिव्य ज्ञान प्रकाश, चैतन्य, जेम्स ऑफ स्पिरिचूऐलिटी, इन्साइट्फल चैटस, माइंड- दी डबल-एज्ड सवॉर्ड इत्यादि।
‘भारत’ की महान आध्यात्मिक भूमि से जन मानस ने सदैव जीवन के परम लक्ष्य के विषय में जाना है। शास्त्र-ग्रंथों में जिस ब्रह्मज्ञान का वर्णन है, डीजेजेएस ने अपने आध्यात्मिक साहित्य के माध्यम से उसी सनातन ज्ञान को सरल भाषा में जन-जन तक पहुँचाने का पूर्ण प्रयास किया है। इसमें विभिन्न शास्त्र-ग्रंथों व समय समय पर आए संतों जैसे स्वामी विवेकानन्द, कबीर दास, तुलसी दास आदि के जीवन चरित से उद्धृत संदर्भों व दृष्टांतों द्वारा मानव जीवन के परम उद्देश्य व वर्तमान समय में अध्यात्म को व्यवहारिक रूप से जीवन में अपनाने की कला का विवरण प्रस्तुत है। डीजेजेएस का साहित्य शास्त्रों के तथ्यों का वैज्ञानिक व्याख्यान प्रस्तुत करने के साथ-साथ व्यवहारिक जीवन में उनका अनुसरण करने की प्रेरणा भी प्रदान करता है।
आगंतुकों ने डीजेजेएस की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान परिवेश में आध्यात्मिकता की वैज्ञानिक प्रासंगिकता को समझाने में डीजेजेएस की उपस्थिति उनके लिए अत्यंत सहायक सिद्ध हुई।