वैदिक मन्त्रों की पवित्र परम्परा को संरक्षित रखने हेतु, दिव्य ज्योति वेद मन्दिर ने भाषा बोध नामक एक अभूतपूर्व ऑनलाइन पाठ्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में संस्कृत भाषा को सरलता से पढ़ने हेतु देवनागरी लिपि को शुद्धतम रूप से उच्चारण करने पर केन्द्रित था।

भाषा बोध के पाठ्यक्रम में संस्कृत व्याकरण के दृष्टिकोण से देवनागरी लिपि के विभिन्न पहलुओं को सम्मिलित किया गया, जिससे आज की विकृत होती जा रही हिन्दी भाषा को पूर्णतः सुधारा जा सके और संस्कृत भाषा का शुद्ध उच्चारण सरलता से किया जा सके। इसमें वर्णमाला और उसके उच्चारण स्थान पर विशेष रूप से बल दिया गया। इसके अलावा पाठ्यक्रम में संस्कृत के सरल शब्दों एवं वाक्यों को भी सम्मिलित किया गया। कुल 23 बैचेज़ में देश-विदेशों से हजारों लोगों ने नामांकन करवाया।
मन्त्रों के दिव्य सार को ग्रहण करने और उनके उच्चारण से उठने वाले दिव्य स्पन्दन का लाभ प्राप्त करने हेतु मन्त्रों का ब्रह्मज्ञानियों द्वारा निःस्वार्थ एवं निष्काम भाव से शुद्ध उच्चारण अनिवार्य है, जिसमें दिव्य गुरु महाराज जी की कृपा से दिव्य ज्योति वेद मन्दिर एक अहम भूमिका निभा रहा है। और वेद मन्त्रों का विशुद्ध उच्चारण सीखने हेतु भाषा बोध का उपयुक्त ज्ञान होना अत्यंत अनिवार्य है।

रोचक सत्रों के माध्यम से, छात्रों ने सटीकता साथ संस्कृत भाषा के उच्चारण में दक्षता की ओर प्रथम सोपान आरम्भ किया।