दिव्य ज्योति वेद मन्दिर ने संस्कृत भारती, रोहिणी जिला द्वारा आयोजित संस्कृत सम्मेलन में 17 अप्रैल, 2024 को रोहिणी सेक्टर 17, दिल्ली में भाग लिया। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में आर्ट ऑफ़ लिविंग, इस्कॉन रोहिणी, सावन धर्मार्थ आश्रम, वंचित फाउंडेशन, आर्ट ग्लोबल वैलनेस फाउंडेशन, रॉयल पब्लिक स्कूल समेत विभिन्न संस्थाओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जन-साधारण में संस्कृत भाषा के प्रति जागृति व जागरूकता का प्रसार करना है। कार्यक्रम में विभिन्न संस्कृत-वर्धक गतिविधियों को प्रदर्शित किया गया जिससे जान-सामान्य में संस्कृत भाषा के प्रति रुझान को बढ़ावा मिला। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में सरस्वती वंदना, गणेश वंदना, शिव पंचाक्षर स्तोत्र, शिव तांडव, महिषासुर मर्दिनी, भरतनाट्यम, कत्थक, लोक नृत्य, योग प्रदर्शन, मुख्य आकर्षण रहे।
दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों का प्रतिनिधित्व दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारक एवं दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्य साध्वी योगदिव्या भारती जी ने किया। दिव्य ज्योति वेद मंदिर ने इस कार्यक्रम में दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के बाल संस्कृत विद्यार्थियों द्वारा संस्कृत गीत पर नृत्य प्रस्तुति व ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों द्वारा शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् का विशुद्ध उच्चारण किया गया। इस मनोरम व विशुद्ध उच्चारण ने उपस्थित संस्कृत अनुरक्तों के हृदय को स्पंदित किया। तदुपरान्त, साध्वी योगदिव्या भारती जी ने संस्कृत भाषा की महानता व वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य पर प्रभावशाली उद्बोधन दिया।
कार्यक्रम का संचालन श्री विक्रम जी एवं रोहिणी जिला के संस्कृत भारती के अध्यक्ष श्रीमान योगेंद्र राणा ने किया। कार्यक्रम में संस्कृत भारती के दिल्ली प्रांत के साप्ताहिक मिलन प्रमुख डॉ विजय कुमार सिंह, प्रांतगण के सदस्य श्रीमान विनायक हेगडे, कोषाध्यक्ष श्रीमान देवदत्त द्विवेदी, विभाग संयोजक नारायण द्विवेदी, जिला संयोजिका श्रीमती अर्चना राणा, शिक्षण प्रमुख श्रीमती श्वेता द्विवेदी, श्रीमती विभा जोशी, सोनिका भगिनी, श्रीमती नूतन सिंह, श्रीमती भवानी हेगडे, श्री शिव पांडे एवं जिला संस्कृत भारती, प्रचारक श्री मनीष जी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों एवं ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों को स्मृति चिह्न भेंट किए गए। कार्यक्रम के उपरान्त साध्वी योगदिव्या भारती जी एवं साध्वी ऋपुहना भारती जी ने उपस्थित सभी संस्कृत अनुरक्तों को संस्थान का साहित्य भेंट किया।