आंतरिक अज्ञान रुपी अन्धकार को मिटा दिव्यता की ज्योति प्रज्वलित करने और प्रत्येक जीवात्मा को उसकी खोई वास्तविक मंजिल तक पहुचाने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में 30 मार्च 2025 को बठिंडा, पंजाब में एक भव्य भजन संध्या का आयोजन किया। 'अभ्युदय: कण-कण में दिव्य ऊर्जा का नव-संचरण' विषय के अंतर्गत आयोजित इस भजन संध्या का उद्देश्य न केवल भक्ति की भावना को जागृत करना था, बल्कि उस भक्ति को आंतरिक जागरण और सामाजिक परिवर्तन के एक सशक्त माध्यम में परिवर्तित करना भी था।

इस आयोजन ने 'ब्रह्मज्ञान' (दिव्य ज्ञान) के प्रचार, विश्व शांति की स्थापना एवं कण-कण में व्याप्त दिव्य ऊर्जा के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य को उजागर करने हेतु, एक सशक्त आध्यात्मिक मंच प्रदान किया।
भजन संध्या का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। आत्मा को झंकृत करने वालेभजनों और विलक्षण एवं सारगर्भित व्याख्यानों को प्रस्तुत कर यह संध्या जीवन के परम उद्देश्य को जानने, अलौकिक शांति का अनुभव करने और दिव्य चेतना का संचार करने कासुंदर अवसर लेकर आई। प्रत्येक सुर और प्रत्येक शब्द ने जागरण का संदेश दिया - हरक्षण, हर श्वास और अस्तित्व के प्रत्येक कण में दिव्य उपस्थिति को अनुभव करने कासंदेश।

गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या, साध्वी सौम्या भारती जी ने कार्यक्रम केविषय के गूढ़ अर्थ को उजागर किया। उन्होंने बड़े सुंदर ढंग से समझाया कि 'अभ्युदय' केवल एक साधारण उन्नति नहीं है, बल्कि चेतना का जागरण है। जब भीतर दिव्यता कासाक्षात्कार होता है, तो वह आंतरिक प्रकाश जीवन के हर पहलू को प्रकाशित करने लगताहै और समग्र समाज तक भी फैलने लगता है। उन्होंने इस परिवर्तन को 'ब्रह्मज्ञान' केमाध्यम से संभव बताया, जो एक सच्चे गुरु द्वारा दिया गया स्व (आत्मा) का प्रत्यक्ष अनुभवहै।
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि सच्ची भक्ति बाह्य अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्किअंतर्मुखी होकर आत्मा का प्रत्यक्ष अनुभव करना ही सच्ची भक्ति है। साध्वी जी ने बतायाकि यही डीजेजेएस का मूल उद्देश्य है: दिव्य ज्ञान द्वारा मानवों को जागृत करना ताकि वेजागरूकता, ज़िम्मेदारी और नि:स्वार्थता के साथ जीवन जी सकें। उन्होंने यह भी बताया कि'ब्रह्मज्ञान' आधारित ध्यान साधना एक रूपांतरणकारी अनुभव है जो साधक को दिव्यता सेजोड़ता है। इसके माध्यम से साधक आंतरिक शांति, सामंजस्य और जागृत चेतना कीअवस्था का अनुभव करता है। यह वही साधन है जिसके द्वारा आत्मा अपने वास्तविक स्रोतसे जुड़ती है।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक ध्यान सत्र के साथ हुआ, जिसने सभी के हृदय में शांति औरपूर्णता का गहरा भाव भर दिया। भक्ति और ज्ञान की यह दिव्य ध्वनि अब भी उपस्थितजनों के अंतर्मन में गूंज रही है, और ‘अभ्युदय' का संदेश जीवंत करते हुए - प्रत्येक कोप्रकाश, शांति और परिवर्तन का माध्यम बनने का आह्वान कर रही है। ऐसे आयोजनों केमाध्यम से डीजेजेएस अपने अविचल मिशन - मानवता को जागृत करने, एक आध्यात्मिकरूप से जागरूक समाज के निर्माण, और एक दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण, समरस विश्व कीस्थापना की दिशा में दृढ़ता से अग्रसर है।