“घर-घर में गूंजे वेद सभी” के अंतर्गत दिव्य ज्योति वेद मन्दिर का उद्देश्य है प्रत्येक इकाई को वेद-ज्ञान से आप्लावित करना। जब एक व्यक्ति में वैदिक संस्कार जागते हैं तो परिणामस्वरूप उसका कुटुम्ब, समाज व उससे जुड़ा प्रत्येक वर्ग संस्कारित होता है। इन वैदिक ध्वनियों को व्यक्ति से विश्व तक तरंगित करने हेतु घर-घर में गूंजे वेद सभी नामक अभियान संचालित किया जा रहा है।
इसी के निमित्त, दिव्य ज्योति वेद मन्दिर, नई दिल्ली द्वारा २८ अक्टूबर २०२२ को श्री रचित गोयल, पश्चिम बंगाल के निवास स्थान पर एक सेमी-वर्चुअल श्री रुद्राष्टाध्यायी पाठ व हवन-यज्ञ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ वेद मन्दिर की संयोजिका, साध्वी दीपा भारती जी द्वारा किया गया। साध्वीजी ने संबोधित करते हुए कहा की वेद का अर्थ है जानना और एक श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गुरु द्वारा ही वेदों के वास्तविक अर्थ व मर्म को जाना जा सकता है। तदोपरान्त, दिव्य ज्योति वेद मन्दिर द्वारा प्रशिक्षित ब्रह्मज्ञानी वेदपाठियों द्वारा शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के मन्त्रों का विशुद्ध उच्चारण किया गया। वेद मन्त्रों के पठन के उपरान्त, दिल्ली मुख्यालय द्वारा संचालित सेमी-वर्चुअल हवन-यज्ञ का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के यजमान श्री रचित गोयल जी ने अपने कुटुम्ब व परिजनों के साथ सम्मिलित हो हवन-यज्ञ का अनुष्ठान किया एवं श्रद्धा-सुमन भेंट की।
कार्यक्रम को समाप्ति की ओर ले जाते हुए, साध्वी देवेशी भारती जी, प्रचारिका, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने वैदिक ध्वनियों की सार्थकता व उसके महत्त्व को अध्यात्म से जोड़ते हुए संबोधित किया। अंतिम चरणों में सभी ने मंगल आरती में समिलित हो दिव्य गुरु श्री आशुतोष माहराज जी के चरण-कमलों में अभिवादन किया।