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ब्रह्मज्ञान के दुर्लभ विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में रुद्रपुर, उत्तराखंड में 24 से 30 अप्रैल 2022 तक सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन किया गया। भव्य कथा कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भक्तों और प्रबुद्ध लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ की। कथाव्यास साध्वी वैष्णवी भारती जी ने अनेक मार्मिक प्रसंगों द्वारा भगवान श्री कृष्ण के जीवन से गूढ़ आध्यात्मिक संदेशों को उजागर किया। ज्ञानवर्धक व आत्मिक पोषण प्रदान करने वाले भजनों ने वातावरण में दिव्यता का संचार किया।

Grand Shrimad Bhagwat Katha Gyan Yagya Decoded Spiritual Messages from the Life of Lord Krishna | Rudrapur, Uttarakhand

प्रभु अवतरण हमेशा से ही मानव की जिज्ञासा का प्रमुख विषय रहा है। लीला-पुरुषोत्तम के रूप में प्रसिद्ध भगवान श्री कृष्ण शुद्ध प्रेम, त्याग, वैराग्य के योगेश्वर अवतार थे। साध्वी जी ने बताया कि गोपियां श्री कृष्ण द्वारा ब्रह्मज्ञान में दीक्षित थीं व उन्होनें अपने जीवन में प्रेम को विशुद्ध रूप में धारण किया था। संस्कृत में “गो+पी” का अर्थ होता है जिसने इंद्रियों के आधिपत्य से स्वयं को मुक्त कर लिया हो। गोपियों के लिए प्रेम और ईश्वर एक ही थे।

साध्वी जी ने आध्यात्मिकता, धर्म और ब्रह्मज्ञान के रहस्यों को स्पष्ट करते हुए बताया कि अशांति से परम शांति तक की यात्रा भीतर से शुरू होती है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन की भांति असंख्य शिष्यों को दिव्य नेत्र प्रदान किया था और उन्हें ब्रह्मज्ञान में दीक्षित किया था। दिव्य ज्ञान को प्राप्त करके इन सभी ने अपने जीवन को कल्याण पथ पर अग्रसर किया। हमारे शास्त्र ग्रंथ स्पष्ट करते हैं कि जीवात्मा शाश्वत शांति के लिए तब तक तड़पती रहती है जब तक उसे समय के पूर्ण गुरु से ब्रह्मज्ञान नहीं मिल जाता। ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लेने पर साधक जब गुरु आज्ञा में चलता है, तब वह अपने जीवन के परम लक्ष्य को पा लेता है। श्रीमद्भागवतपुराण में कहा गया है कि जब तक कोई व्यक्ति स्वयं को दिव्य प्रकाश के मूल रूप में नहीं जान लेता, तब तक वह जन्म और मृत्यु की पहेली को सुलझा नहीं सकता।

Grand Shrimad Bhagwat Katha Gyan Yagya Decoded Spiritual Messages from the Life of Lord Krishna | Rudrapur, Uttarakhand

साध्वी जी ने बताया कि हर युग में वास्तविक धर्म को उजागर करने के लिए भगवान, समय के पूर्ण सतगुरु रूप में प्रकट होते हैं। अपने जीवन के कल्याण हेतु मानव को ब्रह्मज्ञान की खोज करते हुए, पूर्ण सतगुरु की शरणागति स्वीकार करनी चाहिए। साध्वी जी ने कहा कि सच्ची भक्ति सत्गुरु द्वारा अंतर्घट में परमात्मा के दर्शन कर लेने के बाद ही आरंभ होती है। कार्यक्रम में अनेक गणमान्य अतिथिगणों के साथ श्री पुष्कर सिंह धामी जी (मुख्यमंत्री, उत्तराखंड) भी सम्मिलित हुए।

भगवान श्री कृष्ण के जीवन से अनेकानेक प्रेरणाओं और शिक्षाओं में गोता लगा, विशाल जनसमूह ने खुद को भाग्यशाली पाया। इस कार्यक्रम हेतु गुरूदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्यों ने बढ़-चढ़कर सेवा कार्य को पूर्ण किया। उपस्थित लोगों ने डीजेजेएस के निस्वार्थ प्रयासों के लिए उनकी बहुत सराहना की।

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