भगवान कृष्ण के जीवन और मूल्यवान शिक्षाओं से हमें जीवन में करुणा, कोमलता और प्रेम के महत्व का स्मरण होता है। उनके दिव्य कर्म हमेशा रहस्यमय परन्तु फिर भी पूरी तरह से भगवान की पूर्ण शक्ति से युक्त थे। केवल कुछ सर्वश्रेष्ठ संत ही उनकी दिव्यता की एक छोटी सी झलक पा सके। उस काल में लोगों का एक विशाल समुदाय श्रीकृष्ण की सत्यता व दिव्यता को नहीं जनता था।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वाधान में हरियाणा, जिला यमुनानगर, छछरौली में 3 जून से 9 जून 2018 तक सात दिवसीय श्रीकृष्ण कथा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम भगवान कृष्ण के चरण कमलों में प्रार्थना के साथ शुरू हुआ जिसके बाद संस्थान के प्रशिक्षित संगीतकार शिष्यों द्वारा सुन्दर भक्ति गीतों ने विशाल सभा को भक्तिमय दिव्य भावों से भर दिया।
श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या व कथाव्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने भगवान कृष्ण के जीवन की दिव्य लीलाओं को बहुत खूबसूरती से सभी भक्तों के समक्ष प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया। उन्होंने समझाया कि जब आध्यात्मिक सतगुरु आपके जीवन का भार ग्रहण करते है तो भगवान कृष्ण की वास्तविक पहचान को जानकर जैसे अर्जुन का जीवन बदला वैसे ही एक मनुष्य का जीवन बदलाव को पाता है। केवल "ब्रह्मज्ञान" ही एक ऐसा सर्वोच्च उपकरण है जिसके द्वारा लोगों के दिलो-दिमाग में पनप रहे विकारों को दूर कर उनमें दैवीय आभा को भरा जा सकता है। भगवान कृष्ण सादगी का अवतार थे और एक सारथी के रूप में उनकी भूमिका इसी बात का प्रमाण है। इसी तरह हर मनुष्य को भी अपने जीवन में विनम्र होना चाहिए।
इस कार्यक्रम ने आत्मा को आध्यात्मिकता के लिए जागृत करने के महत्वपूर्ण उद्देश्य को सिद्ध किया। भारी संख्या में उपस्थित लोग जीवन के वास्तविक उद्देश्य को जानकर व दिव्यता को महसूस कर अभिभूत हो उठे, जिससे एक व्यक्ति दयालुता और धार्मिकता के मार्ग की ओर अग्रसर होता है।