संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने साक्षरता को पहचान, संवाद एवं अलग-अलग संदर्भों के साथ जुड़े मुद्रित और लिखित सामग्री का उपयोग करके, व्याख्या को समझने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया है। सन् 2015 में यूनेस्को की रिपोर्ट मे यह बताया गया है कि भारत में लगभग 28.7 करोड़ की जनसंख्या निरक्षर है, यानी अनपढ़ है, एवं भारत विश्व भर में एक ऐसा देश है जहाँ के अधिकतर व्यस्क बुनियादी साक्षरता कौशल से अनभिज्ञ है। गरीबी, बढ़ती जनसंख्या जैसी कई सामाजिक समस्या अभी भी भारत के विकास में बाधक है। समाज की इन समस्याओं पर काबू पाने के लिए मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र गुरूदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की प्रेरणा से समाज के आभावग्रस्त बच्चों तक प्रसार समग्र शिक्षा पहुँचाने का काम बढ़े जोरों शोरों से कर रहा है।
प्रत्येक वर्ष 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिवस मंथन द्वारा भी मनाया गया। साक्षरता पर प्रकाश डालकर बच्चों को इसके महत्व के बारे मे बताया गया। इस कार्यक्रम से बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के इतिहास एवं महत्व के बारे मे बताया गया कि किस प्रकार शिक्षा एक व्यक्ति के संपूर्ण विकास एवं देश के सुधार के लिए अवश्यक है।
यह कार्यक्रम बहुत ही विशाल स्तर पर मंथन के दिल्ली, हरियाणा, पंजाब एवं बिहार के सभी केंद्रों मे मनाया गया। इस कार्यक्रम में कई प्रकार की प्रतियोगिताएँ भी रखी गई जैसे - निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग, डिबेट, भाषण, इत्यादि। आनंदी गोपाल जोशी (पहली भारतीय महिला चिकित्सक) एवं सवित्री बाई फूले (पहली भारतीय महिला अध्यापिका) की जीवनियों को बच्चों को बताकर प्रोत्साहित किया। मनोरंजक गतिविधियाँ जैसै रैली एवं 'स्कूल चले हम' गीत पर नृत्य प्रस्तुति दी गई।
इस प्रकार मंथन ने शिक्षा के प्रति बच्चों में जागरूकता को बढ़ाकर देश की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।