गुरु नानक देव जी कहते हैं- दुनिया में कोई भी व्यक्ति भ्रम में न रहे। गुरु के बिना कोई भी भव से पार नहीं हो सकता। मानव देह धारी प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता होती है। मानव जीवन भगवान द्वारा जीवात्मा के लिए एक महान उपहार है। ईश्वरीय एकाकार हेतु ही मानव शरीर आशीर्वाद स्वरूप मिलता है। लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। गुरु नानक देव जी के अनुसार- यदि ईश्वर एक है तो उसे प्राप्त करने का तरीका भी एक ही होगा। उसी एक शाश्वत मार्ग का पालन करना चाहिए। हमारे प्राचीन ग्रंथों ने समझाया कि भगवान को प्राप्त करने का तरीका केवल एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु के माध्यम से ही मिल सकता है। मानव जीवन में एक सच्चे गुरु का ऐसा महत्व 24 जून 2018 को उत्तराखंड के देहरादून में आयोजित मासिक आध्यात्मिक भंडारे में बताया गया।
पवित्र वेद मंत्रोचारण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई, इसके बाद गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के श्री चरणों में प्रार्थनाएं अर्पित की गईं। फिर संस्थान के प्रशिक्षित संगीतकार शिष्यों द्वारा भजनों का सत्र शुरू किया गया। उन्होंने मधुर भजनों से जीवन में गुरु की दिव्यता और महत्व को व्यक्त किया। इन भजनों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्री आशुतोष महाराज जी के कई प्रचारक शिष्यों ने दर्शकों को संबोधित किया और गंतव्य तक पहुंचने के लिए मानव जीवन में गुरु के महत्व को समझाया। देश भर में आयोजित किए जाने वाले ऐसे मासिक भंडारा कार्यक्रम शिष्यों के लिए अपने गुरु की दिव्यता को सदैव स्मरण रखने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करते हैं और आध्यात्मिकता के मार्ग पर उनकी कृपा कैसे आगे बढ़ती है, इसका भी अहसास करवाते हैं। कार्यक्रम द्वारा गुरु स्मरण से आसपास के क्षेत्र में एक भावनात्मक आभामंडल बन गया व दिव्य भक्तिमय तरंगों का संचार हुआ।
इस तरह के आयोजनों का एक शिष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। साथ ही, अपने सतगुरु के चरणों में शिष्य की भक्ति भावना को दृढ़ करने में भी ऐसे कार्यक्रम मदद करते हैं। कार्यक्रम के दौरान, दिव्य भक्ति संगीत और सत्संग ने भक्तों का पथ प्रदर्शित किया। शिष्यों को ऐसे कार्यक्रमों के महत्व का एहसास होता है और वे उनमें पूरी तरह से भाग लेते हैं। इस तरह की मासिक सभाएं जिज्ञासु व भक्तिमय आत्माओं के लिए अमृत का कार्य करती हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी भक्तों के लिए प्रसाद के रूप में भंडारे का आयोजन भी किया गया।