संस्कारशाला अपने नाम की तरह एक अनोखी मासिक कार्यशाला है जो दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के मंथन- सम्पूर्ण विकास केन्द्र प्रकल्पों द्वारा 4 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आयोजित की जाती है। अप्रैल महीने की संस्कारशाला का विषय था संरक्षण संस्कारशाला। संरक्षण दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का प्रकृति संरक्षण कार्यक्रम है।
अप्रैल 2023 माह में कुल 50 कार्यशालाएँ आयोजित की गईं, जिससे पूरे भारत में 2000 बच्चे लाभान्वित हुए। संरक्षण संस्कारशालाएँ दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की समस्त शाखाओं में आयोजित की गई। साथ ही देश के विभिन्न सरकारी एवं निजी स्कूलों स्वामी विवेकानंद स्कूल, गोरखपुर, सरस्वती शिशु मंदिर, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश एवं राजकीय प्राथमिक विद्यालय, पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड इत्यादि में भी आयोजित की गई।
प्रकृति हमारी माँ की तरह ही हमारा पालन पौषण करती है। हमारे शारीरिक स्वास्थ्य से लेकर हमारे मानसिक व्यवहार को संतुलित रखने में प्रकृति अपनी अहम भूमिका निभाती है बस आवश्यकता है तो समाज का प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान देने की। 'संरक्षण' अपनी कार्यशालाओं के माध्यम से लुप्त होते मानव-प्रकृति के संबंधो को फिर से विकसित करने हेतु कटिबद्ध है।
कार्यशालाओं का आरंभ बच्चों और कार्यकर्ताओं द्वारा शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी मंत्रोचारण और ध्यान के साथ हुआ। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारकों ने हमारी धरती माता को संरक्षित और सुरक्षित रखने के महत्व को समझाया।और साथ ही संसाधनों की रक्षा हेतु उन्हें वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान आदि जैसे पर्यावरणीय कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। विभिन्न प्रश्नोत्तरी, वीडियो एवं गतिविधियों के माध्यम से ये सभी तथ्य बच्चों के समक्ष रखे गए। छात्रों ने प्राकृतिक संसाधनो के दुरुपयोग पर रोक और प्रकृति संरक्षण के प्रयासों को बढावा देने का संकल्प लिया। संरक्षण संस्करशाला प्रत्येक बच्चे में माँ प्रकृति के प्रति कर्तव्य की भावना को जन्म दने वाली सिद्ध हुई। कार्यशाला का समापन शांति पाठ और आरती के साथ हुआ। सभी ने दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी को उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद के लिए धन्यवाद दिया।