हमारे देश की महान संस्कृति में संस्कार निहित हैं, जिनका प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बड़ा महत्व हैं l एक तरह से संस्कार जीवन के आभूषण समझे गये हैं क्योंकि सुसंस्कृत व्यक्ति का समाज में मूल्य तथा सम्मान बहुत बढ़ जाता हैं l साधारण शब्दों में संस्कार का हिंदी में अर्थ होता है संवारना l
बच्चें समाज का भविष्य होते है और उनमे संस्कार रोपित करने का सही समय बचपन होता है इसलिए बच्चों में संस्कारों के पोषण हेतु जनवरी से मार्च माह में मंथन- संपूर्ण विकास केंद्र द्वारा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की अनेक शाखाओं जैसे हरियाणा की गुरुग्राम, फरीदाबाद, उत्तर प्रदेश की ग़ाज़ियाबाद, आगरा, मेरठ, राजस्थान की जोधपुर तथा दिल्ली की द्वारका, सेक्टर-15, रोहिणी, पटेल नगर, विकासपुरी, नेहरु प्लेस के अंतर्गत "संस्कारशाला" कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इन कार्यशालाओं का संचालन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारक शिष्याओं द्वारा किया गया, जिसमें 1326 बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यशाला का आरंभ प्रचारक शिष्याओं के प्रेरणादायक विचारों से किया गया जिसमे बच्चों के समक्ष देशभक्ति, आध्यात्मिकता तथा भारतीय पर्वो को मनाने के पीछे के मूलभावों से सभी को अवगत कराया गया। कार्यशाला के अंतर्गत विभिन्न रूचिप्रद क्रियाओं का संचालन किया गया। बच्चों ने बढ़चढ़ कर कई समूह गतिविधियां में भाग लिया एवं अपने विचारों को सभी के समक्ष साँझा किया। कार्यशाला में बच्चों द्वारा नाटक मंचन, देश प्रेम पर भाषण एवं गीत गायन तथा कई देश प्रेम पर आधारित गीतों पर कला प्रदर्शन तथा चित्रकारी जैसी गतिवधियों को किया गया। बच्चों को जीवन में अनुशासन और शारीरिक स्वास्थ्य के महत्त्व से भी परिचित करवाया गया और साथ ही अनेक व्यायाम भी करवाए गए l इसके अतिरिक्त बच्चों को मानव शरीर की संरचना एवं उसके भागों की भी जानकारी दी गई l
कार्यशाला के अंत में बच्चों ने संस्करशाला आयोजन करने हेतु सभी का धन्यवाद किया तथा यह प्राण लिया कि वे कार्यशाला में सिखाये गए मूल्यों को अपने जीवन में धारण करेंगे l