आधुनिक युग वैज्ञानिक युग है और संस्कृत की उपयोगिता इसी बात से सिद्ध है कि यह एक वैज्ञानिक भाषा है। आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की ऐसी कोई शाखा-प्रशाखा नहीं है जिसको संस्कृत ने न छुआ हो। लेकिन हमने संस्कृत को परम्परागत शिक्षण और कर्मकांड तक सीमित कर दिया है जिससे युवा पीढ़ी संस्कृत के प्रति उदासीन नज़र आती है। उनमें संस्कृत के प्रति रुचि पैदा करने के लिए हमें संस्कृत में निहित शक्ति और संभावनाओं को आज के समय के साथ जोड़ना होगा।
इसी प्रयास में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के पावन मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति वेद मंदिर(DJVM) की संस्थापना की गई ताकि देश में वैदिक संस्कृति की पुनः स्थापना हो सके और भारत विश्वगुरु सम्बोधन को पुनः प्राप्त हो। इस हेतु संस्कृत भाषा की शिक्षण–प्रशिक्षण कक्षाएँ नियमित रूप से चलाई जा रही हैं। कोरोना महामारी के चलते कई समय से ये कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जा रही हैं। इसी कड़ी में एक और प्रयास के तहत DJVM ने 16 अगस्त 2020 से प्रत्येक रविवार मंथन-सम्पूर्ण विकास केंद्र के छात्रों के लिए "संस्कृत व्याकरण एवं संभाषण" कक्षा का शुभारंभ किया है जिसमें बच्चों को जहाँ विविध क्रीडायों व स्पर्धायों के द्वारा सरल एवं रोचक तरीके से संस्कृत भाषा का ज्ञान उपलब्ध कराया जा रहा है वहीं इसके वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला जा रहा है।
इन कक्षाओं का सञ्चालन संस्कृत शिक्षक अंशु सोनी के प्रशिक्षण में किया जा रहा है। कक्षा की शुरुआत व्याकरण के कुछ साधारण नियम तथा मम् परिचय के साथ की गयी। इसके अतिरिक्त छात्रों को स्वयं भी संस्कृत शब्दावली की सहायता से नए शब्दों पर वाक्य बनाने के लिए प्रेरित किया गया। इन कक्षाओं के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है कि बच्चे रोज़मर्रा की जिंदगी में संस्कृत भाषा का प्रयोग कर सकेंI और अत्यंत आश्चर्यजनक बात यह है कि अन्य भाषाओं की तुलना में बच्चे संस्कृत को कहीं अधिक जल्दी एवं रूचि के साथ सीख रहे हैंI ये प्रयास निश्चित ही एक दिन सभी भारतियों के न केवल व्यवहार अपितु चिंतन को भी संस्कृत की महिमा से गरिमामयी बना देंगेI
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