गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान) के मार्गदर्शन में 19 दिसम्बर, 2021 को डीजेजेएस की श्रीगंगानगर (राजस्थान) शाखा द्वारा मासिक आध्यात्मिक समागम का आयोजन किया गया। भजन-संकीर्तन व आध्यात्मिक विचारों ने पवित्र और आनंदमय वातावरण निर्मित किया।
स्वामी परमानंद जी ने जीवन के वास्तविक उद्देशय के विषय में विस्तार से समझाया। स्वामी जी ने कहा कि जीवन में दुख हमें परमात्मा के निकट ले जाता है। यह हमें जमीनी सच्चाई का भी एहसास कराता है कि भौतिक जीवन केवल अस्थायी सुख और अपूर्णता की भावना से जुड़ा है। जब हम जीवन के उच्च आयाम में आत्मनिरीक्षण करते हैं, तो दिव्य अनुभूति हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में सहायक होती है।
स्वामी जी ने इस बात पर जोर दिया कि हमारे मन और बुद्धि की अवस्था यह निर्धारित करती है कि हम अपने परिवेश और लोगों के बारे में क्या सोचते हैं। मानव जाति के सामने सबसे बड़ी चुनौती मात्र कोई बीमारी नहीं है बल्कि मुख्य रूप से जीवन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण है। इसलिए सबसे पहले अपने अंदर सकारात्मक बदलाव लाने की जरूरत है। आत्मनिरीक्षण ही आंतरिक शांति की कुंजी है। उन्होंने आध्यात्मिक सूत्र को दोहराया कि किसी को बाहर जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि स्वयं के वास्तविक स्वरूप को जानना चाहिए, जो सकारात्मक और शांतिपूर्ण है। और उसके लिए हमें 'ब्रह्मज्ञान' का निरंतर अभ्यास करना चाहिए। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी एक पूर्ण गुरु हैं जो इस ज्ञान का विस्तार सभी में कर रहे हैं। ऐसा ज्ञान जो आध्यात्मिक कल्याण, संज्ञानात्मक विकास, बेहतर स्वास्थ्य, मानसिक एकग्रता में वृद्धि और बेहतर जीवन शैली की ओर हमें ले जाता है। इसलिए आत्म-साक्षात्कार ही शाश्वत शांति को पाने का सबसे अच्छा तरीका है। जितना गहरा हम ध्यान सरोवर में उतरते हैं; उतना ही सांसारिक दुखों की उष्णता से बचते हैं।
जिज्ञासुओं के लिए यह कार्यक्रम आध्यात्मिक आनंद प्रदान करने वाला रहा। उपस्थित लोगों ने 'ब्रह्मज्ञान' के मार्ग पर बने रहने और विश्व शांति हेतु संकल्प की भावना को दृढ़ किया।