“राम राज्य”- भगवान श्री राम द्वारा सर्वोच्च दर्शन, समाज कल्याण व लाखों लोगों के जीवन को श्रेष्ठता की ओर अग्रसर करने हेतु निर्मित किया गया था। एक ऐसा राज्य जहाँ लोग स्वतंत्र थे, प्रजा अपने राजा की पूजा करती थी और राजा भी अपनी प्रजा के कल्याण हेतु कार्यरत रहते थे। संतों व विद्वत जनों का कथन है कि आध्यात्मिक रूप से जागृत राजा ही राज्य को सही दिशा में अग्रसर करने हेतु सक्षम होता है।
रामराज्य मात्र बाहरिय भूमिखण्ड पर साकार नहीं होता अपितु यह मानव के अंतःकरण में भी प्रगट होता है। मानव के भीतर अधिकतर घृणा, अहंकार, ईर्ष्या, अभिमान आदि नकारात्मकताओं और विकारों का साम्राज्य रहता है। भीतर निहित इन नकारात्मकताओं और विकारों रूपी रावण का संहार तभी सम्भव है, जब जीवन में आत्म जागृति रूपी भगवान श्री राम का पदार्पण हो जाए।
दिव्यता से ओतप्रोत जागृत मन और आत्मा की वास्तविकता से भक्तों को जागरूक करने के लिए “दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान” ने 1 मई से 5 मई 2019 तक अमलोह, पंजाब में “श्री राम कथा” का आयोजन किया। इस आयोजन में कथा का वाचन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी त्रिपदा भारती जी ने किया।
आयोजन का शुभारम्भ भगवान श्री राम की पावन स्तुति गान से हुआ। भजनों की श्रृंखला रूपी निर्झरी ने कथा की सरसता को बढ़ाते हुए भक्तों के हृदय में भगवान श्री राम के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को अंकुरित किया। साध्वी जी ने रामायण की घटनाओं में निहित दिव्य प्रेरणाओं को इतनी खूबसूरती से रखा कि उस समय के दृश्य उपस्थित भक्तों ने मनों में साकार हो उठे। साथ ही साध्वी जी द्वारा प्रदत्त विचारों ने समाज को सकारात्मक परिवर्तन का सूत्र प्रदान किया। “ब्रह्मज्ञान” के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने समझाया कि मात्र ब्रह्मज्ञान द्वारा ही आध्यात्मिक यात्रा का आरम्भ सम्भव है। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के लिए एक भक्त को पूर्ण सतगुरु की शरणागति स्वीकार करनी होती है, जिसके अभाव में साधक पूर्णता की प्राप्ति नहीं कर सकता। सतगुरु द्वारा प्रदत्त ज्ञान से ही जीव जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
उपस्थित भक्त मानव जीवन के वास्तविक मूल्य और ब्रह्मज्ञान के महत्व से परिचित हो अभिभूत हुए। अधिकतर लोगों ने ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हेतु अपनी गहरी रुचि दिखायी। कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे संस्थान के कार्यों की भरसक सराहना की गयी। कार्यक्रम का समापन आत्मिक स्तर पर जागृत संस्थान के स्वयंसेवकों, आयोजकों और प्रचारकों की निःस्वार्थ भावना के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हुए किया गया।