गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में 20 से 26 नवंबर 2023 तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। सात दिवसीय कार्यक्रम में कथा व्यास साध्वी आस्था भारती जी ने मानव जीवन में ब्रह्मज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में स्थानीय व आस-पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं व गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति देखी गई।
कथा व्यास जी ने भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीलाओं में निहित गहन आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर करते हुए समझाया कि एक भक्त को आत्मिक स्तर पर क्यों व कैसे ईश्वर के साथ जुड़े रहना चाहिए, जिससे ही यह विश्व समस्त प्राणियों के लिए एक उन्नत स्थान बन सकता है। उन्होंने श्लोकों के माध्यम से श्री कृष्ण के अलौकिक व श्रेष्ठ चरित्र का विस्तारपूर्वक वर्णन किया।
श्री कृष्ण की लीलाओं में गूढ़ आध्यात्मिक संदेश निहित हैं, जो जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। वे बहुआयामी व्यक्तित्व में एक गोपाल, गुरु संदीपनी के आज्ञाकारी शिष्य, द्वारिकाधीश, द्रौपदी के दिव्य रक्षक, सुदामा के सहायक मित्र और इन सबसे ऊपर एक महान गुरु की भूमिका में प्रकट हुए। साध्वी जी ने समझाया कि भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध से पूर्व अर्जुन को कैसे व क्यों ब्रह्मज्ञान से दीक्षित किया। एक आदर्श गुरु की भूमिका को निभाते हुए श्री कृष्ण ने ईश्वरीय अनुभूति से पूर्व अर्जुन की शंकाओं, दुविधाओं व मानसिक संताप को विस्तारपूर्वक श्रवण किया और तत्पश्चात उनका ब्रह्मज्ञान द्वारा समाधान प्रदान किया।
कथा का मुख्य बिन्दु रहा यह संदेश कि ‘ब्रह्मज्ञान द्वारा ईश्वर को देखा जा सकता है, जिसके बाद ही व्यक्ति अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकता है।’ श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान समय के पूर्ण सतगुरु हैं जिन्होंने असंख्य लोगों को ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्म-साक्षात्कार की सनातन विधि प्रदान की है। पूर्ण सतगुरु के दिव्य मार्गदर्शन व कृपा द्वारा ही आत्म-जाग्रत मनुष्य वर्तमान समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता, विश्व शांति, की दिशा में निःस्वार्थ रूप से योगदान दे सकते हैं।
कथा में प्रस्तुत प्रेरणादायक विचारों व सुमधुर भजनों ने श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध किया। उपस्थित भक्तजनों ने सामूहिक रूप से विश्व शांति के लिए प्रार्थना करते हुए एक सुंदर व स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्म जाग्रति की दिशा में बढ़ने का संकल्प लिया।