आध्यात्मिक जागरूकता को प्राप्त करने के लिए सौभाग्यशाली जीवात्मों को मानव जन्म के रूप में एक विशेष अवसर प्रदान किया जाता है। हमारे ग्रंथों से ज्ञात होता है कि यह मानव जन्म स्वर्ग के देवताओं द्वारा भी वांछित है। भगवान उन सभी के लिए अंतिम लक्ष्य है जो किसी भी प्रकार की पूर्णता की खोज करते हैं क्योंकि सब कुछ उनकी असीमित शक्तियों की एक अभिव्यक्ति है। भौतिकवादी भगवान की माया द्वारा प्रेरित अस्थायी वस्तुओं के पीछे दौड़ते हैं और इस प्रकार आत्म-प्राप्ति का मौका चूक जाते हैं। जबकि जीवन का वास्तविक लक्ष्य तो भगवान की प्रेमपूर्ण भक्ति सेवा में संलग्न होना है। इस तथ्य की जल्द से जल्द प्राप्ति ही जीवन की असारता का बोध कराएगी।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, संस्थापक व संचालक परम पूज्य श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में सत्य और दिव्यता के इस संदेश को फैलाने के लिए दुनिया भर के लोगों तक पहुंचने के लिए अथक रूप से काम कर रहा है। अपने आध्यात्मिक उपक्रम के तहत, संस्थान ने 27 मई से 2 जून 2018 तक उत्तर प्रदेश के लखनऊ क्षेत्र में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा कार्यक्रम का आयोजन किया। कथाव्यास साध्वी आस्था भारती जी ने भगवान कृष्ण की अनेक दिव्य और प्रेरणादायक लीलाओं का सुंदर प्रस्तुतिकरण किया। उन्होंने वैज्ञानिक स्तर पर भी सभी रहस्यों को उजागर किया। इसके अलावा, इस कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति भी दर्ज़ की गई: श्रीमती संयुक्त भाटिया (मेयर, लखनऊ), श्री आशुतोष टंडन (कैबिनेट मंत्री- तकनीकी शिक्षा और चिकित्सा शिक्षा, उत्तर प्रदेश सरकार; विधायक लखनऊ), प्रो. एस पी सिंह (लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलाधिपति, लखनऊ), श्री मनोहर लाल (श्रम, न्याय और परिवहन मंत्री- उत्तर प्रदेश सरकार), श्री भारत सिंह (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, एस जी पी जी आई)।
वैदिक मंत्रोचारण व श्री आशुतोष महाराज जी के युवा प्रचारक शिष्यों द्वारा प्रस्तुत दिव्य भजनों से दैवीय वातावरण साकार किया गया। साध्वी जी ने बताया कि कृष्ण अवतार के दौरान भगवान का उद्देश्य वृंदावन या गोकुल में केवल दिव्य कृत्यों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह महाभारत में उनकी दिव्य एवं सशक्त भूमिका पर केंद्रित था। अपने अवतार के दौरान भगवान ने हमें श्रीमद्भगवत गीता की बहुमूल्य विरासत दी। युद्ध के मैदान के बीच आध्यात्मिक और वैज्ञानिक स्तरों पर अपने आध्यात्मिक सतगुरु- भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन की जागृति के चरण को भी उन्होंने भक्तों के समक्ष रखा। श्रीमद्भागवत पुराण में स्वयं भगवान कहते हैं कि मानव शरीर एक नाव के समान है, आध्यात्मिक गुरु मल्लाह की भूमिका निभाते हैं और शास्त्रों के उपदेश अनुकूल वायु होते हैं जो एक मानव को उसके परम गंतव्य तक ले जा सकते हैं।
साध्वी जी ने जोर देकर कहा कि श्री आशुतोष महाराज जी आज के समय के पूर्ण आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होनें ब्रह्मज्ञान से लाखों भक्तों को आत्मजागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन भक्तों को पवित्रता और धार्मिकता से परिपूर्ण हो द्विज यानि दूसरे जन्म का आशीर्वाद मिला है। सैकड़ों युवा स्वयंसेवक समाज के सभी गंभीर मुद्दों पर संस्थान के विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं के तहत संलग्न नज़र आते हैं। वे सच्चे "साधकों" के जीवंत प्रमाण हैं। उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों और भक्तों ने संस्थान के अथक प्रयासों व कथा की खूब सराहना की। कार्यक्रम के दौरान श्री आशुतोष महाराज जी की अनंत कृपा स्पष्ट रूप से महसूस की गई।