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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 01 - 06  दिसम्बर 2023 तक राजपुरा, पंजाब में श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया। कथा कार्यक्रम में श्री कृष्ण के जीवन आदर्शों एवं दिव्य लीलाओं का सुरुचिपूर्ण रूप से वर्णन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी ने अलौकिक एवं आत्मा को छू लेने वाले भक्ति प्रसंगों के माध्यम से श्री कृष्ण के सर्वोच्च एवं दिव्य रहस्यों को उजागर किया। सात दिवसीय कथा ने वातावरण को दिव्यता व शांति के पवित्र स्पंदन से भर दिया. कार्यक्रम में अनेकों श्रद्धालु व प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हुए।

Shrimad Bhagwat Katha at Rajpura, Punjab recommended Soul-Realization as a Key to Universal Peace & Harmony

डीजेजेएस प्रतिनिधि ने गूढ़ रूप से समझाया की भगवान श्री कृष्ण के सिद्धांत एक आदर्श जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक हैं। हमारे अस्तित्व के संदर्भ में आत्म-अन्वेषण ही जीवन के शाश्वत सत्य की खोज का प्रारंभ है। श्री कृष्ण ने ही ब्रह्मज्ञान के प्राचीनवैदिक विज्ञान को विश्व के आगे प्रस्तुत किया। भगवान ने स्वयं महाभारत युद्ध के दौरान निराश एवं चिंतित अर्जुन को शाश्वत ज्ञान का उपदेश दिया था। साध्वी जी ने बताया कि ब्रह्मज्ञान की ध्यान विधि इतनी प्रभावशाली होती है कि वह एक साधक के अंदर सर्वोच्च चेतना का बीज रोपित करती है। अपने मन को आध्यात्म की ओर अग्रसर करने के पश्चात एक साधक उस ईश्वरीय सत्ता के साथ जुड़ाव महसूस कर सकता है।

साध्वी जी ने समझाया कि श्रीकृष्ण का जीवन हमें उनके जैसी एक आत्मजाग्रत सत्ता (सतगुरु) की खोज के लिए प्रेरित करता है। सतगुरु हमारी ईश्वरीय सत्ता से जुड़ने की प्रबल तृष्णा को शांत करते हैं और हमारे जीवन से मोह माया का अंधकार हर उसमें आत्मज्ञान की रोशनी भरते हैं। आत्मसमर्पण व भक्ति भाव ही आराधना के वह स्तंभ हैं, जिनके माध्यम से एक भक्त वास्तविक शांति व आनंद का अनुभव कर सकता है।

Shrimad Bhagwat Katha at Rajpura, Punjab recommended Soul-Realization as a Key to Universal Peace & Harmony

अंत में साध्वी जी ने बताया कि इस संसार में श्रीकृष्ण की दिव्यता को समझने के लिए आंतरिक जाग्रति ही प्रभावी सिद्ध होती है। इसी सत्य को ध्यान में रख वर्तमान समय में दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी शाश्वत ज्ञान प्रदान कर अनेकों श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक उत्थान कर रहे हैं।

यह कार्यक्रम अध्यात्म की खोज में भटक रही आत्माओं के लिए वरदान साबित हुआ। उपस्थित श्रद्धालुओं ने अपने अंतःकरण में एक नई चेतना का अनुभव किया एवं सर्वोच्च भक्ति एवं आराधना के मार्ग का अनुसरण करते हुए एक परिवार की तरह सद्भाव से रहने का संकल्प लिया।

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