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जैसे हरा-भरा वृक्ष तेज़ गर्मी से हर किसी को छाया देता है, वैसे ही शरण में आने वाले हर जीव पर पूर्ण आध्यात्मिक सतगुरु अपनी कृपा लुटाते हैं। आधुनिक भौतिकवादी जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान ही वो छाया है, जो शक्ति का एकमात्र स्रोत है। भगवान कृष्ण कहते हैं, “एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की कृपा से ही, कोई भौतिक शरीर की भ्रमपूर्ण प्रकृति को समझ सकता है और इस प्रकार वह अस्थायी अस्तित्व से पूर्ण सत्य की भिन्नता को भी जान सकता है। जब कोई व्यक्ति भावनाओं के आनंद के लिए सभी इच्छाओं को त्याग देता है, तो वह आत्मा में पूर्णत: संतुष्ट हो सकता है।”

श्रीमद्भागवत कथा पूर्ण सतगुरु की पहचान को प्रस्तुत करता है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, श्री आशुतोष महाराज जी के पावन सान्निध्य में इस दिव्य ज्ञान निधि को लुटाने के लिए देश के कई शहरों में भागवत कथा का आयोजन करता है। साध्वी आस्था भारती जी ने 26 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2018 तक उत्तर प्रदेश के आगरा में आयोजित भागवत कथा का वाचन किया। इस शानदार सात दिवसीय कार्यक्रम के लिए मंच सज्जा भी अद्भुत रही जिससे स्थल को द्वापर युग में ही परिवर्तित कर दिया गया।

साध्वी जी ने भगवान कृष्ण की अनेक दिव्य लीलाओं पर प्रकाश डालते हुए दर्शकों को संबोधित किया। उन्होंने श्री कृष्ण के जन्म, मथुरा में धर्म स्थापना और महाभारत के युद्धक्षेत्र तक भगवान की कई दिव्य लीलाओं के बारे में चर्चा की, साथ ही उनके पीछे छिपे हुए आध्यात्मिक महत्व को भी प्रकट किया। भगवान का प्रत्येक कार्य धर्म या सत्य स्थापना पर परिलक्षित होता है।

उन्होंने यह भी समझाया कि वह भगवान सभी जीवित इकाइयों के हृदयों में बसते हैं, और बाहरी रूप से आध्यात्मिक गुरु की भूमिका भी निभाते हैं, जो बहुत से उदाहरणों से मनुष्य को सिखाता है। भगवान कृष्ण ने उन सभी मान्यताओं का खण्डन किया जो भौतिकवाद को अपनाने और आध्यात्मिकता को ठुकराने पर बल देती हैं। साध्वी जी ने शास्त्रों को उद्धृत करके छद्म आध्यात्मिक गुरु की पहचान सामने रखी और साथ ही पूर्ण सतगुरु की कसौटी भी बताई। एक झूठे आध्यात्मिक गुरु के आश्रय के तहत, इंसान गलत संगति के प्रभाव में मानसिक अटकलों और काल्पनिक भावना संतुष्टि को गले लगाते है। अगर किसी ऐसे चिकित्सक द्वारा इलाज किया जाता है जिसे कोई चिकत्सीय अनुभव नहीं है, हालांकि बीमारी का लक्षण अस्थायी रूप से गायब हो गया हो, तो भी उस रोग के पुन: प्रकट होने की संभावना है। इसलिए बाहरी विषयों में आनंद लेने वालों और झूठे त्याग का आडम्बर रचने वालों को पूरी तरह से छोड़ना जरूरी है।

इसलिए समय की मांग है- दिव्य नेत्र खोलने वाले पूर्ण आध्यात्मिक सतगुरु की। केवल एक ब्रह्मवेत्ता  सतगुरु की शरण लेने पर ही, ब्रह्मज्ञान पाया जा सकता है और प्रकाश के रूप में अपनी आंतरिक दुनिया में आत्म-बल का अनुभव किया जा सकता है। उपस्थित लोगों ने दिव्य प्रेरणाओं में सराबोर होने पर खुद को बहुत भाग्यशाली पाया। कई गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम में भाग लिया और संगठन की गतिविधियों के लिए अपने पूरे दिल से समर्थन का दावा भी किया। कथा कार्यक्रम की समाप्ति के बाद बहुत से ईश्वर जिज्ञासुओं को ‘ब्रह्म ज्ञान’ में दीक्षित भी किया गया, जो कि कथा आयोजन का एकमात्र उद्देश्य था।

Shrimad Bhagwat Katha - Cultivating Seeds of Spirituality and Devotion in the Hearts of People of Agra, UP

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