प्रत्येक युग में मानव भगवान के अवतरण का साक्षी बना है। वे आत्माएं धन्य है जिन्हें न केवल पूर्ण सतगुरु के दिव्य दर्शकों को प्राप्त करने का मौका मिलता है बल्कि विश्व शांति के महान लक्ष्य में सहयोग देने का अवसर भी प्राप्त होता है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पंजाब के नाभा क्षेत्र में 23 सितंबर से 29 सितंबर 2018 तक सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथाव्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने कथा का वाचन किया। कथा प्रसंगों का आनंद लेने हेतु भगवान श्री कृष्ण के अनेक भक्त व उपासक उपस्थिति हुए।
आज की दुनिया में चुनिंदा लोग ही भगवान के अस्तित्व में विश्वास करते हैं और अधिकतर लोग विज्ञान का चश्मा पहन प्रभु के अवतरण व संसार में ईश्वर की सत्ता को स्वीकार नहीं करना चाहते। आज के समय में लोग जीवन में खुशी और संतुष्टि को पाने हेतु सृष्टि के रचियता को भूल मात्र अपनी इच्छाओं और अभिलाषाओं के पीछे भाग रहे हैं। लेकिन वर्तमान परिवेश में कुछ धन्य और जागृत आत्माएं "ब्रह्मज्ञान" द्वारा सर्वोच्च स्तर पर ध्यान का अभ्यास करती हैं।
ब्रह्मज्ञान माध्यम द्वारा ही एक भक्त सदैव अपने ईश्वर से सफलतापूर्वक जुड़ सकता है। जीव और ईश्वर की दूरी को समाप्त करने के लिए भक्ति और सतगुरु वचनों पर विश्वास सेतु का कार्य करता है। आंतरिक आध्यात्मिक अनुभव द्वारा भीतर से भक्ति का जागरण अपरिवर्तनीय दिव्य ज्ञान और समर्पण का आधार है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, विश्व के प्रत्येक कोने में लोगों के भीतर दिव्यता का बीज रोपित कर मानव में दिव्य परिवर्तन का सर्वोच्च प्रयास कर रहा है।
श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ भगवान कृष्ण के चरणों में प्रार्थना से हुआ। सुमधुर भजनों व प्रेरणादायक रचनाओं की श्रृंखला ने लोगों को दिव्य लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। साध्वी कालिंदी भारती जी ने आध्यात्मिकता की आनंदमय यात्रा पर अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस यात्रा का पहला चरण ब्रह्मज्ञान से आरम्भ होता है और जब हम जीवन में सृष्टि के रचियता से शाश्वत संबंध स्थापित करते हैं तो जीवन अधिक सुंदर और सार्थक हो जाता है। उन्होंने समझाया कि केवल वह मानव ही परिवर्तन की धुन गा सकता है, जिसने खुद को सर्वोच्च सत्ता के साथ जोड़ा है।
दर्शकों ने जीवन में आध्यात्मिक प्रेरणा, दिव्य विचार, दिव्य अनुभूति और लक्ष्य की ओर बढ़ने हेतु स्पष्ट दिशा प्रदान करने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के आयोजकों और स्वयंसेवकों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया।
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