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श्रीमद्भागवत कथा के अंतर्गत भगवान श्री कृष्ण द्वारा मानव जाति को प्रदत्त अनेक दिव्य उद्घोषों व शिक्षाओं की अधिकता है। भागवत पुराण का सार आध्यात्मिकता द्वारा जिज्ञासुओं को कर्म, भक्ति, उपासना और योगिक आदर्शों के सच्चे अर्थों से परिचित करवाना है। परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की अनुपम कृपा द्वारा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 25 से 31 मार्च 2019 तक फरीदाबाद (हरियाणा) में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा वाचक साध्वी आस्था भारती जी ने भक्तिमय भजन, मंत्रोच्चार और दिव्य उपदेशों की श्रृंखला के माध्यम से भगवान कृष्ण की कथा को श्रद्धालुओं के समक्ष रखा। कार्यक्रम का आरम्भ मंच पर उपस्थित शिष्य-संगीतकारों द्वारा प्रभु के चरणों में पवित्र प्रार्थना द्वारा किया गया। कई गणमान्य व्यक्तियों, स्थानीय राजनेताओं और भक्तों ने सात दिवसों तक कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

Shrimad Bhagwat Katha Enunciated the Nuances of Lord Krishna at Faridabad, Haryana

साध्वी जी ने कृष्ण लीलाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति के गौरव को प्रगट किया व साथ ही भगवान के उपदेशों, सिद्धांतों व शिक्षाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला, जिसके द्वारा मानव जीवन में उत्कर्ष को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने भगवान कृष्ण के अवतार का प्रयोजन और उनके बचपन की लीलाओं में निहित रहस्यों को उजागर किया।

साध्वी जी ने भगवान कृष्ण द्वारा दूध और मक्खन मलाई से भरे मिट्टी के बर्तनों को तोड़ने की दिव्य लीला का वर्णन करते हुए समझाया कि जिस प्रकार मिट्टी के बर्तनों में दूध आदि पदार्थ भरे थे और उसे तोड़ कृष्ण भगवन ने माखन को प्राप्त किया उसी प्रकार मानव की देह में भी अनंत आनंद का कोष छिपा है। इस भौतिक देह के पार जाकर ही हम उस बहुमूल्य कोष को खोज सकते है व आनंदित हो सकते है। श्री कृष्ण में ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ब्रज के गोप-ग्वालों व गोपियों को उसी आध्यात्मिक आनंद को प्रदान किया।

Shrimad Bhagwat Katha Enunciated the Nuances of Lord Krishna at Faridabad, Haryana

साध्वी जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण जगद्गुरु हैं और वे हमें उनकी शिक्षाओं पर चलने हेतु  ब्रह्मज्ञान प्राप्ति के लिए प्रेरित करते है। श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान समय के पूर्ण सतगुरु हैं, जो आत्मिक स्तर पर मानव को जागृत करते हैं। आध्यात्मिक स्तर पर जागरूक मानव ही आध्यात्मिक ऊर्जा द्वारा आंतरिक परिवर्तन की यात्रा से लोगों में सकारात्मक बदलाव लाते हुए, भगवान श्री कृष्ण के “वसुधैव कुटुम्बकम्” भावना को साकार करने की कुंजी है।

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