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श्रीमद् भागवत महापुराण में निहित आध्यात्मिक रत्नों को उजागर करने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 9 से 15 अक्तूबर 2022 तक गोण्डा, उत्तर प्रदेश में श्रीमद् भागवत कथा का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी पद्महस्ता भारती जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष भागवत महापुराण का विवेकपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया। सात दिवसीय कथा में प्रेरणादायक विचारों व गायक शिष्यों द्वारा प्रस्तुत भक्ति भावों से सराबोर भजनों का सुंदर समन्वय देखा गया।

Shrimad Bhagwat Katha Unfurled the Spiritual Treasures of Brahm Gyan at Gonda, Uttar Pradesh

साध्वी जी ने समझाया कि श्रीमद् भागवत में निहित आध्यात्मिक मर्मों को केवल ब्रह्मनिष्ठ तत्त्ववेता पूर्ण सतगुरु के मार्गदर्शन में ही समझा जा सकता है। पूर्ण सतगुरु शिष्य को ‘ब्रह्मज्ञान’ की विधि प्रदान कर ब्रह्मांड के रहस्यों को स्पष्ट व सरल कर देते हैं। उन्होंने बताया कि संत महापुरुष सदा से जिज्ञासुओं को ब्रह्मज्ञान प्रदान करते आए हैं।

अर्जुन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए साध्वी जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण जैसे पूर्ण गुरु ही हमारी ऊर्जा व मन को गुरु भक्ति व निःस्वार्थ सेवा की दिव्य दिशा में मोड़ कर अध्यात्म की परतों को खोलने का सामर्थ्य रखते हैं। ब्रह्मज्ञान की ध्यान साधना परमानंद व विवेक का ऐसा स्त्रोत है, जो नकारात्मक विचारों को ध्वस्त करने में हमारी सहायक बनती है और मन को शांति प्रदान करती है।

Shrimad Bhagwat Katha Unfurled the Spiritual Treasures of Brahm Gyan at Gonda, Uttar Pradesh

अंत में कथाव्यास जी ने कहा कि समय के पूर्ण सतगुरु ही हमारे सच्चे मित्र होते हैं, जो जन्म-मरण के दुष्चक्र से मुक्त होने में हमारी सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान समय के पूर्ण सतगुरु हैं, जिन्होंने ब्रह्मज्ञान की अग्नि को प्रज्वलित कर विश्व भर में असंख्य मानवों को आत्म-जाग्रति के पथ पर अग्रसर किया है। इस शाश्वत ज्ञान को प्राप्त करके नियमित ध्यान साधना करने वाले साधक सांसारिक चुनौतियों से लड़ने में सुदृढ़ बनते हैं, तथा मानसिक शक्ति व आत्मिक आनंद को प्राप्त करते हैं।

श्रीमद् भागवत कथा ने भागवत महापुराण में निहित आध्यात्मिक रत्नों द्वारा उपस्थित सभी भक्तजनों में दिव्यता व सकारात्मकता का संचार किया।

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