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संस्कृत की एक उक्ति के अनुसार "वसुधैव कुटुंबकम" अर्थात् अखिल विश्व  एक परिवार है। आज के समय को देखते हुए यह कथन पहले से कहीं अधिक यथार्थवादी सिद्ध हो रहा है। कोरोना नाम के एक वायरस ने पूरी दुनिया को एक ही कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है जिससे बचने का उपाय पूरा विश्व एक साथ खोजने में लगा हुआ है। किन्तु आज हम सभी को एहसास करना होगा कि प्रत्येक जीव एक-दूसरे से कितनी गहराई से जुड़ा है। आज स्वयं को हमें याद दिलाना होगा कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति को माँ के रूप में पूजा और हमें भी प्रकृति का सम्मान करने की सलाह दी। किन्तु इतिहास के किसी बिंदु पर हम इस प्राचीन ज्ञान को भूल गए और परिणाम आज स्पष्ट है। जब तक हम, न केवल इंसानों की,अपितु जानवरों और पौधों सहित सम्पूर्ण प्रकृति की सुरक्षा का उत्तरदायित्व सँभालते हैं तब तक हम स्वयं भी सुरक्षित हैं।

Shukl Yajurvediya Rudrashtra - Adhyayi (RudriPath) Virtual  Classes organized for NRIs by  Divya Jyoti Ved Mandir in association with DJJS

समय है कि मनुष्य बाहरी प्रकृति के साथ-साथ अपनी आंतरिक प्रवृति को भी स्वच्छ करे। वैदिक संस्कृति के अनुसार वेद अपने भीतर सृष्टि के प्रत्येक रहस्य को संजोय हुए हैं जिनका ब्रह्मज्ञानी साधकों द्वारा निस्वार्थ भाव से शुद्ध उच्चारण करने से पूरे विश्व को ओजस्वी स्पंदन से स्पंदित किया जा सकता है और एक-एक इकाई के अंदर व्याप्त नकारात्मकता को सकारात्मकता में परिणित किया जा सकता है।

इसी प्रयास में दिव्य ज्योति वेद मंदिर, जो न केवल भारतीय वैदिकी संस्कृति के पुनरुथान एवं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार कार्यों में संलग्न है अपितु पूरे विश्व को दिव्य शांतिमयी वैदिकी तरंगों से गुंजायमान करने की ओर भी क्रियाशील है, के द्वारा देश एवं विदेशों में रह रहे ब्रह्मज्ञानी साधकों के लिए DJJS की विभिन्न शाखाओं के सहयोग से, ऑनलाइन” वेद मन्त्र रुद्राष्टाध्यायी पाठ”  की कक्षाओं  का आयोजन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत ब्रह्मज्ञानी साधकों को वेद पाठ का विशुद्ध अभ्यास कराया जा रहा है। नया सत्र 19 जुलाई 2020 से प्रारम्भ हुआ है जिसमें विदेशों (न्यूयोर्क, कैलिफ़ोर्निया, न्यूज़ीलैंड, संयुक्त राष्ट्र अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापूर, दुबई, जापान और यूनाइटेड किंगडमम इत्यादि देशों ) से सैंकड़ों  साधकों ने नामांकन कराये हैं। कोरोना महामारी के चलते सामाजिक दूरी की महत्वत्ता को समझते हुए इस कक्षा का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से  किया गया जिससे वेदपाठी घर बैठे ही इन कक्षाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इन सभी कक्षाओं का मुख्य उद्देश्य वातावरण में फैली नकारात्मकता को ख़त्म कर अखिल विश्व और मानवता को दिव्यता की ओर ले जाना है।

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