श्रीमद् भागवत कथा,धर्म एवं आध्यात्मिकता के गूढ़ रहस्यों को उद्घाटित करती ईश्वर द्वारा रचित एक अनमोल सम्पदा है जो मानव जाति को जीवन के वास्तविक लक्ष्य से अवगत कराती है। भौतिकवाद के इस युग में आज जहाँ मनुष्य प्रत्येक भौतिक वस्तुओं की कीमत आंकने में सक्षम हो गया है वहीं दूसरी ओर वह इन्ही भौतिक वस्तुओं में शान्ति एवं आनंद को खोज रहा है। वह अपनी सीमित इन्द्रियों से असीमित ब्रह्म तत्व को प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है। किन्तु, श्रीमद भागवत पुराण यह उद्घोष करता है कि ईश्वरीय सत्ता के मूल प्रकाश स्वरुप को जाने बिना मोक्ष प्राप्ति असंभव है।
भगवान श्री कृष्ण की इसी धरोहर से सम्पूर्ण विश्व को अवगत कराने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा देश एवं विदेशों में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जाता रहा है। श्रीमद् भागवत की इसी श्रृंखला में एक और कड़ी को जोड़ते हुए गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में संस्थान द्वारा दिनांक 18 से 24 नवंबर 2019 तक सात- दिवसीय कथा का आयोजन किया। कथा पूर्व मंगल कलश यात्रा का भी आयोजन किया गया जिसके माध्यम से विश्व शांति के महान लक्ष्य में जन-मानस का आह्वाहन किया गया।
कथा व्यास साध्वी आस्था भारती जी ने समझाया कि जिस प्रकार प्रकृति किसी भी प्राणी के साथ भेदभाव नहीं करती, ठीक उसी प्रकार सृष्टि के निर्माता भी बिना किसी भेद, अपनी प्रेम एवं करुणा रुपी वर्षा सभी प्राणियों पर समान रूप से करते हैं। उन्होंने सभी को ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर ईश्वर के वास्तविक स्वरुप को समझने के समान अवसर दिए। उनका अपमान एवं तिरस्कार करने वाले दुर्योधन को भी उन्होंने अपने विराट स्वरुप से अवगत कराया था ताकि वह अज्ञानता एवं अधर्म का मार्ग छोड़ धर्म का मार्ग अपना सके, किन्तु परमात्मा को केवल वही प्राप्त कर सकता है जिसके भीतर उनके प्रति चाह एवं सच्चा समर्पण हो। साध्वी जी ने बताया कि प्रत्येक युग में वो निराकार सत्ता मानव को धर्म के पथ पर अग्रसर करने हेतु सतगुरु के रूप में इस धरा पर अवतरित होती है। अतः हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम अपने जीवन में ऐसे सतगुरु की खोज करें। वर्तमान में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी जन-मानस को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर पुनः धर्म के पथ पर अग्रसर करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
भगवान श्री कृष्ण के जीवन दर्शन एवं उनकी लीलाओं के पीछे निहित आध्यात्मिक संदेशों को बताती इस कथा में अनेक भक्त श्रद्धालुगण सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में संस्थान के सामाजिक प्रकल्प "कामधेनु" के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गयी जिसके अंतर्गत देसी नस्ल की गायों के संरक्षण एवं संवर्धन के ऊपर कार्य किया जा रहा है। संस्थान के इस प्रकल्प में कई श्रद्धालुगणों ने विशेष रूचि दिखाई। ओजस्वी विचारों एवं सुरबद्ध भजन संगीत से सजी इस कथा का सभी ने आनंद उठाया।