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"मैं गीता में निवास करता हूँ और गीता मेरा सर्वोत्तम धाम है। मैं गीता के ज्ञान से तीनों लोकों की रक्षा करता हूँ। जो गीता के अर्थ का ध्यान करता है, उसने बहुत सारे अच्छे कर्म किए हैं, वह सिद्धि के सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त करता है।”- भगवान श्री कृष्ण

Srimad Bhagavad Gita Gyan Shivir | 7th – 18th February, 2022

श्री श्रीमद्भगवत् गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है । हिन्दू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है । इसमें 18 पर्व और 700 श्लोक है । श्रीमद्भगवत् गीता में अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से धार्मिक सहिष्णुता की भावना को प्रस्तुत किया गया है जो भारतीय संस्कृति की एक विशेषता है । भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है।

दिव्य ज्योति वेद मन्दिर गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित एवं संचालित एक शोध व अनुसंधान संस्था है जिसका एकमात्र ध्येय प्राचीन भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान द्वारा सामाजिक रूपांतरण करना है। वैदिक संस्कृति के प्रसार एवं वेदमंत्रोच्चारण की मौखिक परम्परा को स्थापित करने तथा संस्कृत भाषा को व्यवहारिक भाषा बनाने हेतु दिव्य ज्योति वेद मन्दिर देश भर में कार्यरत है। वैश्विक महामारी COVID-19 के लॉकडाऊन के समय दिव्य ज्योति वेद मन्दिर विश्व स्तर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी तथा संस्कृत संभाषण की वैश्विक स्तर पर नियमित कक्षाएं प्रारंभ की गई जिनमें वेद मंत्रों के विशुद्ध व सस्वर उच्चारणपाठ सिखाया गया।

Srimad Bhagavad Gita Gyan Shivir | 7th – 18th February, 2022

श्रीमद्भगवत् गीता की इसी महत्ता को देखते हुए परम पावन श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति वेद मन्दिर द्वारा 7 से 18 फ़रवरी, 2022 (सोमवार से शुक्रवार) तक 10 दिवसीय एक विशेष श्रीमद्भगवत् गीता ज्ञान शिविर का आयोजन किया गया इस शिविर में 144 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस शिविर का संचालन डॉ. विजय सिंह, शिक्षा प्रमुख, दिल्ली प्रांत, संस्कृत भारती, द्वारा किया गया जिसमें प्रतिभागियों को श्रीमद्भगवत् गीता के अति महत्वपूर्ण श्लोकों के अर्थ और उच्चारण सिखाए गए ।

इस शिविर में परस्पर संवादात्मक तरीकों से श्लोक सिखाए गए ।  श्लोकों की संधि के माध्यम से पदों को विभाजित करके प्रत्येक पद का अर्थ समझाया गया तथा सम्पूर्ण श्लोक का छंदबद्ध तरीके से उच्चारण करना भी सिखाया गया, जिसमें सभी प्रतिभागियों द्वारा उत्साहपूर्वक भाग लिया गया ।

अंत में सभी प्रतिभागियों द्वारा शपथ ली गई की वे भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करने हेतु कटिबद्ध रहेंगे ।

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