दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 24 से 30 अप्रैल 2023 तक अयोध्या, उत्तर प्रदेश में एक भव्य भगवान श्री राम कथा का आयोजन किया गया। श्री आशुतोष महाराज जी (दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक और संचालक) की शिष्या साध्वी श्रेया भारती जी कथा की मुख्य वक्ता रहीं। भगवान श्री राम संपूर्ण ब्रह्मांड में रमन करने वाली शक्ति हैं, और ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ही उनके वास्तविक रूप को जाना जा सकता है।
श्रीराम कथा अनादि काल से भक्तों के हृदयों में विशेष महत्व रखती है। अपने प्रवचनों के माध्यम से साध्वी श्रेया भारती जी ने बताया कि प्रभु श्री राम ईश्वर के अवतार हैं। इसलिए सांसारिक साधनों से उन्हें समझने का प्रयास करना व्यर्थ है। जो प्रभु श्री राम के चरित्र की गहराई एवं उनके आदर्शों को जानना व समझना चाहता है, उसे अपने अंतरजगत में उतरना होगा।
साध्वी जी ने कहा कि हमें भगवान श्री राम के श्रेष्ठ व्यक्तित्व एवं चरित्र से मिलने वाली प्रेरणाओं को आत्मसात करना है। श्री राम ने समाज के सामने श्रेष्ठ आदर्शों को रखा है। उन्हें अपनाने के बाद व्यक्ति समाज में एक सुंदर उदाहरण रच सकता है।
साध्वी जी ने कहा कि भक्ति मार्ग में निरंतर प्रयास अवश्य करना चाहिए, भले ही प्रारंभ में हमारी इसमें रुचि न हो। तुलसी दास जी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पृथ्वी में दबा हुआ उल्टा बीज अंकुर को जन्म दे सकता है, उसी प्रकार अरुचि रखने वाला व्यक्ति भी इस कथा में शामिल होकर भक्ति का फल प्राप्त कर सकता है। भगवान श्री राम के आदर्शों को अमल करके हमें अपने जीवन के हर पल को पवित्र करने की कोशिश करनी चाहिए। त्रेता युग में भगवान श्री राम ने जन मानस को ब्रह्मज्ञान प्रदान किया था और उनपर अपनी कृपा वर्षा की थी। वर्तमान युग में भी दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है। ब्रह्मज्ञान स्वयं के भीतर आत्मतत्त्व का प्रत्यक्ष दर्शन है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अहंकार व अन्य विकारों को दूर कर सकता है और एक श्रेष्ठ जीवन जी सकता है। आज, दुनिया भर में अनेकों ऐसे भक्त हैं जिन्होंने श्री आशुतोष महाराज जी से दीक्षा प्राप्त की है और वे धार्मिकता और कर्तव्यपरायणता का जीवन जी रहे हैं।
कार्यक्रम में बहुत से विशेष अतिथि भी शामिल हुए जिन्होंने संस्थान व उसके प्रयासों की भूरि भूरि प्रशंसा की। वे कथा के आध्यात्मिक प्रभाव और भव्यता को महसूस कर सकते थे और साथ ही श्री गुरु महाराज जी के द्वारा की गई कृपा के लिए आभारी थे। उन्होंने संस्थान से भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध किया और उनमें भाग लेने की इच्छा व्यक्त की।