युवा एक राष्ट्र की रीढ़ है, उनके कार्य और लक्ष्य राष्ट्र के भविष्य का फैसला करते हैं। आलसी, अस्वस्थ, अशिक्षित, दिशाहीन, उद्देश्यहीन, बेरोजगार, ऊर्जाहीन युवाओं की किसी भी देश द्वारा कभी भी सराहना नहीं की जाती है। इसलिए, संस्थान द्वारा युवाओं को सर्वोच्च उद्देश्य के लिए जागृत करने और फिर से लक्ष्य केन्द्रित करने के लिए एक पहल की गई।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने दिव्य धाम आश्रम, नई दिल्ली में 2 दिनों के लिए “उत्तिष्ठत भारत” विषय पर एक युवा कार्यक्रम आयोजित किया। 13 और 14 अक्टूबर 2018 को, युवा शिष्य एक छत्र तले इकट्ठे हुए और जीवन के उच्च लक्ष्य के लिए योगदान देने का फैसला किया। यह सम्पूर्ण कार्यक्रम दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के स्वयंसेवकों द्वारा आयोजित किया गया। उत्तिष्ठत भारत- एक ऐसा देश जहां लोग एकजुट हो आध्यात्मिक रूप से जागृत और सफलतापूर्वक उच्च दैवीय लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।
इस आयोजन में आयोजित किए गए योग-शिविर, नाटक, भक्ति गीत, आध्यात्मिक व्याख्यानों न केवल ज्ञान और भक्ति को बढ़ाया बल्कि आत्मिक जागृति द्वारा वैश्विक मिशन की ओर युवाओं की सम्पूर्ण ऊर्जा और विचारों को फिर से निर्देशित कर उन्हें देशभक्ति की उच्च भावनाओं, एकता और पूर्ण दिव्य सतगुरु की ओर एकनिष्ठ भक्ति के भाव से भर दिया ।
आयु तो केवल एक संख्या है क्योंकि कोई भी युवा अपने कंधों पर राष्ट्र की ज़िम्मेदारी तब तक नहीं उठा सकता है, जब तक कि वह स्वयं शारीरिक रूप से स्वस्थ व सुदृढ़ न हो। इसलिए, इस कार्यक्रम में संस्थान के योग विशेषज्ञों की मदद से विलक्षण योग शिविर आयोजित किया गया। सभी उपस्थित युवाओं ने आसन और योग-प्राणायाम किया जिससे रक्त परिसंचरण और सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार, प्रतिरक्षा क्षमता में बढ़ावा मिला और अगली गतिविधियों पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद भी मिली। इस कार्यक्रम में दो नाटकीय प्रस्तुतियां भी शामिल की गई- एक श्री अरविंद घोष जी के जीवन पर आधारित और दूसरी साईं बुल्लेशाह के जीवन पर आधारित। श्री अरविंद अपने युग के ऐसे राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे, जिन्होंने जेल में रहते हुए न केवल राष्ट्र के लिए योगदान दिया बल्कि योगी और आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी उजागर हुए। उनका जीवन हमें उनके जैसे महान विद्वान बनने और आध्यात्मिक गतिविधियों के माध्यम से मानव विकास पर काम करने के लिए प्रेरित करता है।
हजरत बाबा बुल्लेशाह के जीवन पर आधारित नाटकीय प्रस्तुति भी कार्यक्रम का उल्लेखनीय पक्ष था। संत सूफ़ी बुल्लेशाह मुस्लिम पंजाबी सूफ़ी कवि और विद्वान थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को अपने कामिल मुर्शिद हज़रत शाह इनायत के श्री चरणों में समर्पित किया था।
संस्थान प्रचारकों ने आध्यात्मिक व्याख्यान प्रस्तुत किए जिसमें ऐसे महान पुरुषों की जीवन शिक्षाओं को साझा किया जिन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन और युवावस्था को महान उद्देश्य के लिए त्याग दिया। उन्होंने यह भी बताया कि चुनौतियों ने उन्हें कैसे आगे बढ़ाया और दुनिया के समक्ष उनकी प्रतिभाओं को उजागर कर नए इतिहास को रचा।
इस दो दिवसीय ऊर्जावान व प्रेरणादायक कार्यक्रम ने सफलतापूर्वक युवाओं की सुषुप्त ऊर्जा को जागृत कर उनकी सभी नकारात्मकताओं और संदेहों को निर्मूल कर दिया। युवाओं ने एक बार फिर अपने उच्च लक्ष्य की ओर एकजुट हो आगे बढ़ने का प्रण लिया और भारत को “उत्तिष्ठत भारत” बनाने के प्रति वचनबद्धता भी धारण की।