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संस्कारशाला दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सम्पूर्ण शिक्षा कार्यक्रम मंथन-सम्पूर्ण विकास केन्द्र द्वारा आयोजित ऑनलाइन व ऑफलाइन कार्यशाला है जो 4 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आयोजित की जाती है। दिसम्बर माह की संस्कारशाला का विषय था वैदिक संस्कारशाला।

Vedic Sanskarshala Vedi-fied the children | DJJS Manthan SVK

दिसम्बर माह में कुल 46 कार्यशालाऍं आयोजित की गईं, जिससे पूरे भारत में 2539 बच्चे लाभान्वित हुए। वैदिक कार्यशालाऍं अखिल भारतीय दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की शाखाओं के साथ-साथ स्कूलों में भी आयोजित की गईं, जैसे जिला परिषद प्राथमिक शाला (जेडपी प्राइमरी स्कूल) घोडेगांव, पुणे, ज़ी.पी सेकेंडरी हाई स्कूल, अमरावती, उपासना मेमोरियल मायावती हायर सेकेंडरी स्कूल और सर्वोदय विद्या मंदिर कानपुर, उत्तर प्रदेश।

कार्यशाला का आरम्भ कार्यकर्ताओं व बच्चों द्वारा शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के वैदिक मंत्रो के सामूहिक उच्चारण द्वारा किया गया। साध्वी बहनों और भाइयों ने सर्वप्रथम सभी बच्चों को चारों वेदों के नाम पूछे तत्पश्चात उन्होंने हर वेद के विषय में बताते हुए समझाया की वेद मानवजाति की मृत्युंजयी धरोहर हैं। बच्चों के समक्ष विभिन्न वैदिक सूत्र व मन्त्रों को रखते हुए साध्वी बहनों व भाइयों ने बताया की आज जिन वैज्ञानिक अविष्कारों के विषय में दुनिया जानती है, हजारों वर्षों पूर्व वैदिक युग में विभिन्न ऋषियों ने उन अविष्कारों को इन सूत्रों में लिख कर वेदों में संरक्षित कर बड़े सहज रूप से मानव समाज को दे दिया था। ऐसे ही कुछ वैज्ञानिक अविष्कार हैं- आचार्य कणाद द्वारा परमाणु सिद्धांत, भास्कराचार्य द्वारा गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत और आर्यभट्ट द्वारा शून्य का आविष्कार आदि।

Vedic Sanskarshala Vedi-fied the children | DJJS Manthan SVK

वैदिक संस्कृति की इस विराटता से अवगत हो सभी बच्चे स्तब्ध थे। इसके उपरान्त, बच्चों में वैदिक मूल्यों को रोपित करने हेतु उनको वैदिक गुरुकुल छात्रों के दिनचर्या से कुछ बिन्दुओं को साँझा किया गया ताकि वे भी उन्हें अपने जीवन में उसे ग्रहण करें व उसके फलस्वरूप मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य का लाभ ले सकें।

इसके बाद, कार्यकर्ताओं ने वैदिक गणित सीखने के महत्व पर भी बच्चों के साथ चर्चा की, जिसके माध्यम से जटिल गणितीय समस्याओं को क्षण भर में हल किया जा सकता है और इस प्रकार मानव मस्तिष्क को एक चलते-फिरते कैलकुलेटर में परिवर्तित किया जा सकता है। बच्चों ने छोटे-छोटे वैदिक गणित के मध्यम से प्रश्नों को हल भी किया।

अंत में, बच्चों ने दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी को धन्यवाद दिया जिनके माध्यम से उन्होंने इस अद्भुत वैदिक संस्कारशाला के माध्यम से अपनी भारतीय संस्कृति को इतने सहज और प्रायोगिक रूप से समझा।

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