वैसे तो सभी के लिए शिक्षा का समान रुप से महत्व है, लेकिन महिलाओं की शिक्षा, कई मायनों में बेहद महत्व रखती है । संक्षेप में कहा जाए तो उचित व अनुकूल शिक्षा प्राप्त करके महिला अपने व्यक्तित्व का निर्माण तो करती ही है साथ ही वह अपने समाज, घर परिवार में सुख का संचार भी करती है और देश के कल्याण के लिए श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण करती है । इसी कारण शिक्षित नारी को सुख समृद्धि का कारक भी कहा गया है । समाज में संतुलन कायम हो और सही अर्थों में देश विकास कर सके इसके लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सामाजिक प्रकल्प मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र ने करीब चार वर्षों पहले “स्याही” नामक प्रौढ़ शिक्षा केंद्र की नींव रखी जिसमें 21 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को मूल विषय जैसे हिंदी भाषा का अध्ययन, मूल गणित, वित्तीय और स्वास्थ्य साक्षरता कौशल हासिल करने में सहायता की जा रही है I
इसी क्रम में 11 अगस्त 2019 को दिल्ली के नेहरु प्लेस क्षेत्र में 9 वें “स्याही” केंद्र का उद्घाटन किया गया जिसमें 17 महिलाओं ने नामांकन कराया I कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में Monika Arora (Senior Advocate, Tulsi Joshi (Councellor of R. K. Puram, Chairperson South Zone SDMC), Dr. Nandini Sharma (Councellor of Malviya Nagar), Shri Omprakash Dhingra Ji (President Geeta Bhawan, Malviya Nagar), N.K. Batra Ji (General Secretary, Geeta Bhavan Mandir Samiti), Mohan Batra Ji (Member, Geeta Bhavan Mandir Samiti), Gyanchand Batra Ji (Member, Geeta Bhavan Mandir Samiti), Santpal Chutani (Member, Geeta Bhavan Mandir Samiti), Mahendra Kumar Ji (Bangal Sweets, Malviya Nagar), Chitra Ji (President Sanatan Dharm Mandir) उपस्थित रहे I
दीप प्रज्जवलन और मधुर प्रार्थना के गायन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया जिसके बाद मंथन के छात्रों ने “मधुरं” और “कंधो से मिलते हैं कंधे“ गाने पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया I इसके बाद नामांकित महिलाओं को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारक शिष्याओं व सभी आगंतुकों द्वारा स्याही पहचान पत्र और स्टेशनरी किट प्रदान की गयी I इस अवसर पर इस अभियान से जुडी कुछ लाभार्थियों ने अपने अनुभव साँझा किये जिसमें उन्होंने शिक्षा से स्वयं के जीवन में होने वाले सकारात्मक बदलावों को उजागर करते हुए बताया कि एक समय था जब शिक्षा के अभाव में उन्हें जीवन के छोटे से छोटे कार्यों में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था जैसे बैंक और अपने बच्चों के स्कूल फॉर्म भरना, घर का सामान्य हिसाब-किताब देखना, लोगों से आसानी से धोखा खा जाना, आदि और इसलिए उन्हें छोटे-से-छोटे काम के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था जिससे उनके अंदर आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की भावना निरंतर गिरती जा रही थी I लेकिन आज शिक्षित होने से वे अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति सजग हुई हैं और पूरे आत्मविश्वास के साथ न केवल घर में अपितु समाज में भी हर क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा कर देश के निर्माण में अपना योगदान दे रही हैं I
महिलाओं को उनके जीवन में इस सफल बदलाव के लिए वहां उपस्थित सभी अतिथियों ने उन सभी को बधाई दी और मंथन के इस भले कार्य की सराहना करते हुए स्वयं भी महिलाओं की शिक्षा में अपना सहयोग करने का वचन दिया I