दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में 12 जून 2022 को वेबकास्ट श्रृंखला के 97वें संस्करण को नूरमहल, पंजाब से प्रस्तुत किया गयाl डीजेजेएस के यूट्यूब चैनल के माध्यम से आध्यात्मिक विकास हेतु इस सत्संग कार्यक्रम को प्रसारित किया गया, जिससे विश्व भर में बैठे ईश्वर पिपासुओं ने लाभ प्राप्त किया। कार्यक्रम का आरंभ आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करने वाले भक्तिमय व दिव्य भजनों द्वारा हुआ। तत्पश्चात गुरुदेव के शिष्यों ने आध्यात्मिक विचारों को सबके समक्ष रखाl
संस्थान के प्रचारकों ने अपने प्रवचनों में मोक्ष प्राप्ति के लिए ब्रह्मज्ञान की आवश्यकता को दर्शाया। भारतीय प्राचीन ग्रंथों के अनुसार शिष्य की आध्यात्मिक यात्रा तलवार की धार पर चलने के समान हैl इस मार्ग में ज़रा सी असावधानी भी घातक सिद्ध हो सकती है। इसलिए लोग सोचते हैं कि भक्ति मार्ग बहुत कठिन हैl परन्तु, इसके विपरीत, एक विवेकी ब्रह्मज्ञानी शिष्य प्रतिकूल परिस्थितियों को भी आसानी से पार कर जाता हैl वह ऐसा कैसे कर पाता है? साध्वी जी ने कहा कि गुरु के प्रति समर्पण ही वह माध्यम है जिसके द्वारा शिष्य विवेकी बनता है और आसानी से अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर पाता हैl पूर्ण समर्पण तब होता है जब शिष्य अपनी प्रत्येक श्वांस में गुरु को याद करता है l प्रत्येक श्वांस के साथ गुरु की आराधना करता है l तब फिर गुरु भी ऐसे सच्चे शिष्यों के अंतरघट में दिव्य प्रकाश की वर्षा कर देते हैंl यह दिव्य प्रकाश ही शिष्य के मार्ग को प्रकाशित कर सदैव उसका मार्गदर्शन करता है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता हैl
उन्होंने प्रेरणादायक विचारों में आगे कहा कि आज हमें भी वर्तमान समय के पूर्ण गुरु श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा दिव्य ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) प्राप्त हुआ हैl लेकिन हममें से कुछ लोगों को अभी भी यह भक्ति का मार्ग बहुत कठिन लगता हैl इसका कारण हमारा गुरु के प्रति समर्पण का आभाव हैl हम अपने जीवन की समस्याओं को स्वयं सुलझाने में लगे हैंl हम संशयों से प्रभावित हो जाते हैंl आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होने के लिए ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान साधना का अभ्यास ही एक मात्र उपाय है l तदोपरांत, हमें मोक्ष के द्वार में प्रवेश करने से कोई वंचित नहीं कर सकताl हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण परमात्मा के चरणों में अर्पित हो जाता हैl
श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों ने कार्यक्रम को समाप्त करते हुए सभी से गुरु की शिक्षाओं पर चिंतन करने तथा विश्व में शांति की स्थापना हेतु सहयोग करने का आग्रह कियाl कार्यक्रम का समापन एक घंटे के सामूहिक ध्यान सत्र के साथ हुआ, जिसमें विश्व भर से ब्रह्मज्ञानी साधकों ने भाग लियाl