भगवान शिव की जीवन गाथा से दिव्य आदर्शों व प्रेरणाओं को उजागर कर लोगों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 14 से 20 नवंबर, 2022 तक आगरा, उत्तर प्रदेश में ‘भगवान शिव कथा' की सात दिवसीय अलौकिक गाथा का आयोजन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या व कथाव्यास साध्वी लोकेशा भारती जी ने भगवान शिव के चरित्र और जीवन से ली गए दिव्य विचारों और व्यावहारिक प्रेरणाओं को बड़ी ही खूबसूरती से भक्तों के आगे रखा। साथ ही, मंत्रमुग्ध कर देने वाले दिव्य भजन वास्तव में अतृप्त आत्माओं के लिए आध्यात्मिक आनंद की दिव्य खुराक साबित हुए।
डीजेजेएस प्रतिनिधि ने लोगों से 'सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान' के सिद्धांतों को आत्मसात करने और भगवान शिव के चरित्र के माध्यम से निरासक्ति को समझने का आग्रह किया। शिव इस संसार के परम स्वामी हैं। वह समय व काल की बाधाओं और आयामों से अत्यंत परे हैं। वे परम दयालु 'भोलेनाथ' कहलाते हैं, जो सच्ची उपासना करने वाले भक्तों के मार्ग को प्रशस्त व आनंदित करते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि 'ब्रह्मज्ञान' के पवित्र प्राचीन ज्ञान को प्राप्त करके ही भगवन शिव को आत्मसात करना संभव है। "आत्म-जागृति" भगवान शिव को अपने भीतर महसूस करने के लिए परम व प्रथम आवश्यकता है। ध्यान के द्वारा अज्ञानता को दूर किया जाता है और भगवान की प्राप्ति के लिए आंतरिक दिव्यता की अभिव्यक्ति की जाती है। जिस प्रकार अग्नि में वस्तुओं को जलाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है, उसी प्रकार भगवान शिव के सच्चे नाम में भी पापों को जलाने की और अनंत शांति प्रदान करने की शक्ति होती है।
साध्वी जी ने स्पष्ट किया कि शिव उच्च आत्मिक स्तर का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन इसे महसूस करने के लिए हमें अपने अहंकार और आसक्तियों को भंग कर देना चाहिए। अपने 'अर्धनारीश्वर' स्वरूप में, शिव 'प्रकृति' और 'पुरुष' (शिव और शक्ति) के एकीकरण का ही प्रतीक हैं। भगवान शिव का तीसरा नेत्र आंतरिक दिव्य दृष्टि का प्रतीक है जो इस भौतिक संसार की माया से परे देख सकती है। इसी नेत्र के माध्यम से आंतरिक प्रकाश पर ध्यान केन्द्रित करने पर एक भक्त का आध्यात्मिक विकास होता है। परम पूज्य श्री आशुतोष महाराज जी एक करुणामयी व दयावान दिव्य युग-पुरुष हैं जो इसी दिव्य नेत्र को उजागर कर आंतरिक परिवर्तन के द्वारा दुनिया भर के हजारों लोगों को प्रकाशित कर रहे हैं। साध्वी जी ने कथा का समापन करते हुए दोहराया कि आज हम सब ऐसे दिव्य ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं और इसके लिए; डीजेजेएस के दरवाजे सभी के लिए हमेशा खुले हैं। कथा में भाग लेने के बाद भक्तों ने स्वयं को आध्यात्मिक रूप से तरोताजा पाया। उन्होंने कार्यक्रम के माध्यम से सीखे गए व्यावहारिक तथ्यों की भी खूब सराहना की।