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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में 03 से 07 जून 2022 तक सुनाम, पंजाब में पांच दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। कथा का उद्देश्य दिव्य नेत्र में निहित रहस्य का अनावरण करना था। कथा के माध्यम से भक्तों को प्रेरित करने वाले ‘महायोगी शिव’ की विभिन्न विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया। गुरुदेव की शिष्या कथाव्यास साध्वी जयंती भारती जी ने भगवान शिव के विभिन्न रूपों को व्यक्त किया, जो हमें सही जीवन जीने का ज्ञान प्रदान करते हैं।

Bhagwan Shiv Katha Exhibited the Concealed Mysticism of Divine Eye at Sunam, Punjab

साध्वी जी ने समझाया कि शिव- शाश्वत और नित्य चैतन्य सत्ता हैं। शिव रहस्यपूर्ण हैं व बुद्धि से परे हैं। वेदों, शास्त्रों के शिक्षक- आदिगुरु, सहजता से क्षमा करने वाले- आशुतोष, स्वयं से ही निर्मित- शम्भू, संगीत के स्वामी- नटराज, अनेक रूपों में समाज को अपने ज्ञान द्वारा प्रकाशित कर रहे हैं। साध्वी जी ने यह भी बताया कि भगवान शिव के माथे पर तीसरा नेत्र है और वह इस बात का प्रतीक है कि प्रत्येक मनुष्य के पास यह तीसरा नेत्र है; और जब यह आंतरिक आंख खुलती है, तो जीवन में शांति और सन्तुलन विकसित होता है। इसी नेत्र के द्वारा आप अपने वास्तविक स्वरूप को, अस्तित्व को देख सकते हैं।

दिव्य नेत्र द्वारा मानव जीवन में ऐसा संतुलन प्राप्त करता है कि दुनिया की कोई भी परिस्थिति या व्यक्ति उसके आंतरिक संतुलन, शांति को विकृत नहीं कर सकता। साध्वी जी ने बहुत सरल व सरस ढंग से बताया कि मात्र एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु के पास ही ‘ब्रह्मज्ञान’ प्रदान कर, दिव्य नेत्र को जागृत करने की दिव्य क्षमता होती है। शिव नेत्र वह द्वार है जो उच्च चेतना के आंतरिक क्षेत्रों और वास्तविक अध्यात्म की ओर ले जाता है। दिव्य नेत्र जागृत होने के उपरान्त हम भी भगवान शिव के समान जगत कल्याण हेतु ध्यान कर सकते हैं। ध्यानपूर्ण मनःस्थिति के माध्यम से हम तनावपूर्ण परिस्थिति में भी शांत रहकर विजय की ओर कदम बढ़ाते हैं। मन पर नियंत्रण रखने से न केवल ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है बल्कि हम इच्छाओं और व्यसनों के शिकार भी नहीं होते।

Bhagwan Shiv Katha Exhibited the Concealed Mysticism of Divine Eye at Sunam, Punjab

दिव्यज्ञान के गूढ़ तथ्यों से ओतप्रोत पांच दिवसीय शिव कथा रूपी डोर ने भक्तों को कार्यक्रम से जोड़े रखा। भक्ति तरंगों से पूरित भजन श्रृंखला ने दिव्यता का संचार कर, मन को प्रभु की ओर अग्रसर किया। उपस्थित अतिथियों और भक्तों ने संस्थान के निःस्वार्थ प्रयासों की सराहना की।

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