डीजेजेएस द्वारा दशहरा मैदान, दलदल सिवनी, रायपुर, छत्तीसगढ़ में 6 से 12 जनवरी 2020 तक भव्य श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने कथा में निहित गूढ़ तथ्यों के सार को श्रद्धालुओं के समक्ष रखा। संत समाज ने संगीत की सरस लहरियों द्वारा भक्तिमय वातावरण का निर्माण किया। साध्वी जी ने श्रीमद्भागवत महापुराण से कई उदाहरणों द्वारा जीवन के विकट से विकट संघर्षों को विजय करने हेतु महत्वपूर्ण कुंजी को समझाया। समाज में व्याप्त मानसिक समस्याओं को समझाते हुए साध्वी जी ने कहा कि बाहरी उपलब्धि, प्रयास या चिकित्सा स्थायी संतुष्टि नहीं दे सकती, इसके हेतु ब्रह्मज्ञान की अनिवार्यता है।
साध्वी जी ने श्री शुकदेव मुनि द्वारा मृत्यु की प्रकृति के विषय में राजा परीक्षित की आशंकाओं को समाप्त करने की घटना सुनाई। ऋषि शुकदेव ने राजा को इस संसार के अस्थायी स्वरूप को समझाया। राजा को बताते हुए, ऋषि ने कहा कि इस संसार में मृत्यु और क्षय से कोई सुरक्षा नहीं है। समय के साथ सबकुछ अंत में समाप्त हो जाता है। व्यक्ति की आसक्ति ही उसके दुःख का मूल है। ऋषि ने समझाया कि मृत्यु को रोकने का कोई मार्ग नहीं है। यद्यपि मानव को जन्म और मृत्यु के अन्तराल में आंतरिक आनंद प्राप्त करना चाहिए, जो क्षणभंगुर नहीं बल्कि स्थायी है। समय के सच्चे आध्यात्मिक गुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से आंतरिक आनंद प्राप्त किया जा सकता है। सतगुरु साधक के प्रत्येक भ्रम को तोड़कर, उसे आत्मिक मार्ग का साक्षी बनाते हैं।
साधक द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने की परंपरा सनातन है। इस परंपरा में सतगुरु, शिष्य को आध्यात्मिक शिखर पर ले जाते हैं। साधक को आध्यात्मिक शिखर की प्राप्ति हेतु अपनी सांसारिक आसक्तियों को समाप्त करना पड़ता है। इसी मार्ग से वास्तविक आंतरिक शांति को प्राप्त कर, साधक मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य ईश्वर में एकमिक हो जाता है। साध्वी जी ने कथा को मूर्त रूप देते हुए कहा कि आज हम सभी को सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से महान ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हो सकती है और इस हेतु डीजेजेएस सभी को आमंत्रित करता है।