किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें निश्चित मार्ग अथवा प्रक्रिया से होकर गुज़रना पड़ता है। जिस प्रकार एक नदी का लक्ष्य सागर से मिलन है ठीक उसी प्रकार प्रकाश स्वरुप परमात्मा से मिलन ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है। जिस प्रकार आग के बिना मोमबत्ती का कोई महत्त्व नहीं है, ठीक उसी प्रकार आध्यात्म के अभाव में मानव जीवन का कोई महत्व नहीं।
आध्यात्म के मार्ग पर चल कर ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है। आध्यात्म हमें दुनिया से विमुख नहीं, अपितु इसी दुनिया में रहते हुए जीवन जीने की वास्तविक कला को सिखाता है।
ईश्वर पिपासुओं को आध्यात्म के रस से सरोबार करने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा श्री मुक्तसर साहिब, पंजाब में दिनांक 25 से 31 अगस्त 2019 तक, सात दिवसीय श्री भागवत कथा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रभु श्री कृष्ण की चरण वंदना के साथ किया गया। सुमधुर भजन संगीत ने समस्त श्रोतागणों को भाव विभोर कर दिया।
कथाव्यास साध्वी सुश्री कालिंदी भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म से लेकर कुरुक्षेत्र में अर्जुन को विजयी योद्धा बनाने तक की सभी दिव्य लीलाओं को सार सहित सभी के समक्ष रखा। आध्यात्मिकता के महत्त्व को समझाते हुए साध्वी जी ने बताया कि आध्यात्म की इस यात्रा में हमें एक पूर्ण गुरु की आवश्यकता होती है तभी हम इस मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर हो पाते हैं।
आध्यात्मिकता के मार्ग में बढ़ते हुए हम धीरे धीरे सांसारिक मोह माया से दूर हो परमात्मा की निकटता को प्राप्त कर पाते हैं। साध्वी जी ने समझाया कि ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के उपरांत ही अर्जुन का मोह भंग हुआ था और उसने पुनः अपने गांडीव को उठा कर धर्मयुद्ध लड़ा था। आध्यात्म के मार्ग में बढ़ते हुए हम स्व से उठकर, समाज एवं विश्व कल्याण हेतु अग्रसर हो पाते हैं। श्री कृष्ण के जीवन आदर्शों एवं उनके दिव्य संदेशों से ओतप्रोत इस कथा का सभी ने आनंद उठाया।