जब समाज में किसी भी प्रकार के विद्रोह की स्थिति उत्पन्न होती हैं तो मनुष्य के लिए असहनीय हो जाता हैं l परन्तु जब प्रत्येक व्यक्ति विद्रोह का एक अभिन्न हिस्सा बनता हैं तथा आतंरिक बदलाव भी आता हैं, तभी मानव के भीतर सम्पूर्ण क्रांति का पदार्पण होता हैं l एक सच्ची क्रांति न केवल सामाजिक बुराइयों को खत्म करती हैं बल्कि इंसान को अंदर से भी बदल देती हैं l ऐसी क्रांति दिव्य ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) की मांग करती हैं l इस दिव्य ज्ञान की प्राप्ति तभी हो सकती हैं जब हम प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक पद्धति को जान ले जो हर युग में ऋषि-मुनियों ने प्राप्त की हुई थी l वर्तमान समय में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा इस पद्धति में जाग्रति लाई जा रही हैं l इसी उद्देश्य से 21 सितम्बर 2019 को 'सम्पर्ण क्रांति' नामक एक महान भक्तिपूर्ण संगीतमय भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया l संस्थान के संगीतकार शिष्यों द्वारा गाए गए मधुर भक्ति गीतों ने इस कार्यक्रम को ओर भी आनंदमय बना दिया l इस कार्यक्रम में असंख्य श्रद्धालु उपस्थित रहे l
दिव्य ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए साध्वी जी ने कहा कि आज मानव को पहले से कही अधिक आतंरिक शांति की आवश्यकता हैं l आज युद्ध का मैदान बाहर नहीं बल्कि मानव ह्रदय के अंदर हैं, जो निरंतर लालच, घृणा, वासना, अहंकार, आदि जैसे दोषो से लड़ता रहता हैं l ये दोष मानव निर्णय को समाधान की तुलना में कई समस्याओ की ओर ले जाते हैं l हमें केवल इस कथन की पुष्टि हेतु चारों तरफ देखना होगा l अक्सर डर भयंकर होता हैं और यह तब ज्यादा भयावह हो जाता हैं जब परिवार के सदस्य एक दूसरे को यह सलाह देते हैं कि वो रात में सफर न करे और किसी अनजान से बात न करें l
हालांकि, प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक गुरुओं ने घोषणा की हैं कि सम्पूर्ण विश्व हमारा परिवार बन सकता हैं, ख़ुशी से रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान बन सकता हैं, यदि हम अपने भीतर दिव्य प्रकाश को साकार कर ले तो l इसके लिए हमें एक ऐसे प्रबुद्ध आध्यात्मिक पूर्ण गुरु की तलाश करनी होगी जो अपनी कृपा से हमें दिव्य नेत्र प्रदान कर हमें ईश्वर की शाश्वत भक्ति प्रदान करें l जब व्यक्ति को इश ज्ञान की प्राप्ति होती है तभी वह सार्वभौमिक चेतना में प्रवेश कर सकता हैं l यह ज्ञान के असीम सागर के रूप में भी जाना जाता हैं, यह सार्वभौमिक चेतना व्यक्ति को आतंरिक शांति एवं परमानन्द प्रदान कर उसे चिरस्थायी आनंद प्रदान करती हैं और तब ही सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापित हो पाती हैं l
इस प्रकार, साध्वी जी ने इस आयोजन का समापन करते हुए कहा कि आज समाज को पूर्ण आतंरिक क्रांति की शुरुआत करने के लिए दिव्य ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) की आवश्यकता हैं l इसके लिए एक पूर्ण गुरु का होना आवश्यक हैं जो हमें यह ज्ञान प्रदान कर सकें l साध्वी जी ने उपस्थित श्रोताओ को निमंत्रण देते हुए कहा कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वार निष्ठावान जिज्ञासुओं के लिए खुले रहेंगे जो ईश्वर को देखना तथा आतंरिक शांति प्राप्त करना चाहते हैl कार्यक्रम का समापन प्रभु की पावन आरती द्वारा किया गया एवं अंत में कार्यक्रम में आए गणमान्य अतिथियों ने संस्थान द्वारा समाज सुधार हेतु किए जा रहे कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा भी की!