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दिव्य धाम आश्रम में आयोजित मासिक भंडारे में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए| सुमधुर भजनों व प्रवचनों द्वारा उपस्थित जनमानस को अनेक अनमोल प्रेरणाएँ प्रदान की गईं| सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी तेजोमयानंद जी, स्वामी सुमेधानंद जी, स्वामी विद्यानंद जी व् साध्वी शैब्या भारती जी ने समाज व विश्व की घटनाओं व समस्याओं का शास्त्रों के आधार पर हल प्रदान किया| उन्होंने बताया कि समाज की दशा व दिशा दोनों ही उस समय की विचारधारा पर निर्भर करती है| जीवन में हमारा सामना कई तरह की परिस्थितियों से होता है| इंसान और समाज पर ये परिस्थितियाँ कैसा असर डालेंगी यह उस समय हमारी सोच और प्रतिक्रिया तय करती है| इसलिए मार्के का प्रश्न यह है कि समाज को कैसे विचारों से पोषित किया जा रहा है? कैकयी को मंथरा से, दुर्योधन को शकुनी से मिली गलत विचारधारा तो वहीं ध्रुव को माता सुनीति से और अर्जुन को भगवान् श्री कृष्ण से मिले सही विचारों ने राष्ट्र और समाज का अलग ही रूप रचा| ये घटनाएँ इस बात को प्रमाणित करती हैं कि हर इंसान द्वारा किए जा रहे कार्य सिर्फ उसके जीवन ही नहीं बल्कि पूरे समाज और आगे आने वाली पीढ़ियों तक को प्रभावित करते हैं| इसलिए इंसान के कार्यों का आधार उसकी सोच का सही मार्गदर्शन बहुत ज़रूरी है| साथ ही सकारात्मक व श्रेष्ठ विचारों का संग इंसान के विवेक को जगाकर सही मायनों में सुख व सफलता को सुनिश्चित करता है| ऐसे मनुष्य ईश्वर के हाथों के यंत्र बनकर समाज के नव-निर्माण में विशेष भूमिका निभाते हैं| श्रद्धालु ऐसी अनेक प्रेरणाओं और सुविचारों को दृढ़ता से अमल में लाते हुए समाज को सुंदर रूप देने के लिए उत्साहित हुए| अंत में सामूहिक ध्यान द्वारा सकारात्मक श्रेष्ठ तरंगों से धरा को संपोषित किया गया|

Divya Dham Monthly Congregation Reminded Masses of the Grand Works of the Master

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