प्रिय वैदिक अनुरक्तों,
![Divya Jyoti Ved Mandir in God's Own Country- Kerala | Padmanabha Swamy Temple | Ananthapuri Veda Sammelanam 2023](https://www.djjs.org/uploads/news/im_63cd208ccd6bd.jpg)
जैसा की आपको विदित है, दिव्य ज्योति वेद मन्दिर ने हाल ही में दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में वैदिक संगोष्ठी को पूर्ण किया। यह समाचार जंगल में आग की तरह फ़ैल गया। इसका प्रभाव इतना वृहद् था की दिव्य ज्योति वेद मन्दिर को विश्व के सबसे संपन्न मन्दिर, श्री पद्मनाभ स्वामी मन्दिर में होने जा रहे वैदिक सम्मलेन के लिए आमंत्रित किया गया।
इसी के तहत, दिव्य ज्योति वेद मन्दिर को अनन्तपुरी वेद सम्मलेन २०२३, थिरुवनन्थपुरम, केरल में आमंत्रित किया गया। वेदों के विभिन्न विषयों पर आधारित यह क्षेत्रीय सम्मेलन 5 जनवरी से 8 जनवरी, २०२३ तक महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन) व पीपल फॉर धर्म ट्रस्ट के सहयोग द्वारा आयोजित किया गया।
![Divya Jyoti Ved Mandir in God's Own Country- Kerala | Padmanabha Swamy Temple | Ananthapuri Veda Sammelanam 2023](https://www.djjs.org/uploads/news/im_63cd208c8140e.jpg)
यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि दिव्य ज्योति वेद मन्दिर ही एकमात्र ऐसी संस्थान थी जो उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थी। पीताम्बर वस्त्र व त्रिपुंड धारण कर, दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के प्रतिनिधि ५ जनवरी को इस वैदिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए थिरुवनन्थपुरम गए, जिसका उद्घाटन केरल के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस कार्यक्रम में स्वामी चिदानंद पुरी जी, वी. मुरलीधरन, भारत के विदेश राज्य मंत्री, पी.एस. श्रीधरन पिल्लई, गोवा के राज्यपाल, कुम्मनम राजशेखरन, वरिष्ठ भाजपा नेता और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल, ओ. राजगोपाल, राज्यसभा के पूर्व सदस्य, प्रो. ए. सुब्रमण्य अय्यर, प्रबंधक श्रृंगेरी मठ, श्री अनूप कुमार मिश्रा, महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, श्री प्रदीप नंबूदरीपाद, थन्त्रिमुख्य, पद्मनाभ स्वामी मंदिर भी उपस्थित रहे।
अगली प्रातः काल, ब्रह्ममुहूर्त में सभी ब्रह्मज्ञानी वेदपाठियों ने सामूहिक साधना की व पद्मनाभ स्वामी मन्दिर की परम्परानुसार सभी ने श्री पद्मनाभ स्वामी मन्दिर के गर्भ गृह के समक्ष बैठकर शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी- माध्यान्दिन शाखा का उच्चारण किया। मान्यता है यहाँ श्री विष्णु अनन्त नाग पर अनन्त शयन मुद्रा में विश्राम कर रहे हैं। समूचा गर्भ गृह वेद मंत्रो की ध्वनि तरंगों से स्पंदित हो उठा जहाँ दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों सहित अन्य गुरुकुल एवं वैदिक परम्परा के छात्रों ने वेदों का उच्चारण किया। तदोपरान्त, मन्दिर परिसर से सभी एक भव्य शोभा यात्रा में सम्मिलित हो कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे। इस वैदिक सम्मेलन में अनेकानेक विद्वत जन उपस्थित रहे जिन्होंने विभिन्न विषयों जैसे भारत में वेद जप अभ्यास, सोपना संगीतम में सामवेद का प्रभाव, वेदों में नामसंकीर्तनम का महात्म्य, वेद में हस्त मुद्राएं, समकालीन विश्व में वैदिक तकनीकों का महत्व आदि पर अपने विचार व्यक्त किये। डी.जे.वी.एम के प्रतिनिधियों ने वैदिक अनुसंधान के लिए वेदों के विभिन्न विषयों पर प्रतिष्ठित अतिथियों, वैदिक विद्वानों, गुरुकुलों के छात्रों के साथ बातचीत की।
७ जनवरी को साध्वी दीपा भारती जी, वैश्विक कार्यकरिणी अध्यक्षा ने संस्कृत, हिंदी व् अंग्रेजी भाषा में दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी एवं उनके वृहद् लक्ष्य से सभी को परिचित करवाया। इसके बाद ब्रह्मज्ञानी वेदपाठियों ने शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी, माध्यान्दिन शाखाकृत का उच्चारण प्रारंभ किया। ब्रह्मज्ञानी वेदपाठियों द्वारा वैदिक मंत्रों के विशुद्ध उच्चारण और प्रस्तुति की सभी लोगों ने प्रशंसा की व परिसर का वातावरण दिव्यता से परिपूर्ण हो गया। प्रो. ए. सुब्रमण्य अय्यर जी ने सभी को सम्मान वस्त्र और स्मृति चिह्न भेंट किये।
८ जनवरी को औपचारिक रूप से कार्यक्रम का समापन हुआ, जहाँ दिव्य ज्योति वेद मन्दिर को प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया गया। स्वामी प्रदीपानंद जी, समन्वयक, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, चेन्नई द्वारा प्रमाण पत्र को स्वीकृत किया गया।