दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव, 2022 का पावन दिवस विश्व भर में जुलाई 2022 माह में संस्थान की विभिन्न शाखाओं जैसे पिथौरागढ़ (उत्तराखंड), सहरसा (बिहार), डूंगरपुर (राजस्थान), पाथर्डी (महाराष्ट्र), देहरादून (उत्तराखंड), बैंगलोर (कर्नाटक), अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश), चेन्नई (तमिलनाडु), पटना (बिहार), चाकन (महाराष्ट्र) ), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), जोधपुर (राजस्थान), पौड़ी (उत्तराखंड) आदि में पूर्ण उत्साह से मनाया गया। विश्व-स्तर पर मनाए गए संस्थान के इन कार्यक्रमों का उल्लेख विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा भी किया गया। इस शुभ अवसर पर शिष्यों ने सामूहिक रूप से गुरुदेव की मंगल आरती व पूजन किया। कार्यक्रम में प्रस्तुत भावपूर्ण भजनों ने सभी हृदयों को भक्ति व गुरुदेव की दिव्य प्रेरणाओं से भर दिया।
श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के प्रचारक शिष्यों ने भक्ति पथ पर वेगवान गति से आगे बढ़ने के लिए शास्त्रों एवं संतों-महापुरुषों के जीवन चरित्र से प्रेरणादायक उदाहरणों को प्रस्तुत किया। गुरु पूर्णिमा का महान दिवस शिष्य के जीवन में अत्यंत महत्व रखता है, क्योंकि यह दिन उसे अपने गुरुदेव की असीम कृपाओं व उनके द्वारा प्रदत्त आध्यात्मिक ज्ञान (‘ब्रह्मज्ञान’) का पुनः स्मरण करवाता है। भक्त कभी भी अपने गुरुदेव की कृपाओं, उनके द्वारा दिए गए मार्गदर्शन एवं सहयोग के ऋण से मुक्त नहीं हो सकता। अतः यह विशेष दिवस उसके संकल्प व समर्पण को सुदृढ़ कर भक्ति पथ पर उत्साहपूर्वक आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है।
भगवान श्री कृष्ण के कथन अनुसार, जो ईश्वर को प्राप्त कर लेता है, उसके लिए संसार में कुछ भी पाना शेष नहीं रह जाता; और, जो संसार को जीत कर भी ईश्वर से दूर है, वह वास्तव में कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाता। इस तथ्य को उजागर करते इतिहास में कई उदाहरण हैं। जैसे कि एक ओर है महान सिकंदर, जो संपूर्ण विश्व को जीत कर भी दुखी व असंतुष्ट रहा और इस दुनिया से खाली हाथ गया। वहीं, दूसरी ओर हैं संत कबीर दास जी, जो सांसारिक सुख-सुविधाओं के अभाव में भी सुखी व संतुष्ट रहे क्योंकि वे हर समय ईश्वर से जुड़े रहते थे। इसलिए सौभाग्यशाली हैं वह लोग, जिन्हें जीवन में आध्यात्मिक एवं सांसारिक उत्कृष्टता तक पहुँचाने वाले दिव्यता के पुंज, समय के पूर्ण सतगुरु की संगति प्राप्त है।
प्राचीन समय में शिष्यों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने से पूर्व सतगुरु उनकी परीक्षा लिया करते थे। परंतु वर्तमान समय में मानव व पृथ्वी की दयनीय स्थिति को देखते हुए, श्री आशुतोष महाराज जी ने इस ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) को जन-जन के लिए सुलभ करवा दिया है। भावी समय गुरुदेव के ‘ब्रह्मज्ञान (आत्म-साक्षात्कार) द्वारा मानव में क्रांति और विश्व में शांति’ के उद्देश्य को पूरित होता अवश्य देखेगा। श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव, 2022 के विशेष दिवस पर अमूल्य विचारों को प्राप्त कर भक्तों ने भक्ति-पथ पर सुदृढ़ता से बढ़ते रहने का शिव-संकल्प धारण किया। अंत में सामूहिक ध्यान-साधना के साथ कार्यक्रम को सम्पन्न किया गया।