मानव जीवन प्रतिदिन हर गुज़रते पल के साथ सुख और दुःख के झूले में झूलता हुआ, जीवन के अंत की ओर बढ़ रहा है। आज के परिवेश की संरचना ऐसी है जहाँ बाहर के साधन तो सुगम है परन्तु मानव के भीतर भी व्यवस्था बिगड़ती जा रही है, और वह तनाव, अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आधुनिक, वैज्ञानिक व कंप्यूटर युग ने अनेक कार्यों को सरल किया है परन्तु वही दूसरी ओर इन्हीं उपलब्धियों ने जीवन में निहित आनंद को समाप्त कर दिया है। मानव आज गहन नींद, आनंद की अनुभूति, तनाव-मुक्त जीवन और बेहतर जीवन के लिए खोज आदि सर्वोत्तम शैलियों को विस्मृत कर चुका है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान “विश्व शांति" के महान लक्ष्य को सिद्ध करने हेतु विश्वभर में आध्यात्मिक जागृति व वास्तविक धर्म को समाज में स्थापित करने हेतु निरंतर प्रयासरत है। संस्थान कार्यों से प्रभावित होकर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रतिनिधि को ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड संसद भवन में 21 अगस्त, 2019 को आमंत्रित किया गया।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी ओम प्रभा भारती जी ने अपने प्रवचनों में बताया कि दुनिया में लोग अपने रिश्तों, नौकरियों, स्वास्थ्य और मानसिक शांति के प्रबंधन के लिए संघर्ष तो कर रहे हैं परन्तु किसी भी बाहरी प्रयास से व्यक्ति के जीवन में स्थिर परिवर्तन सम्भव नहीं आ पा रहा है। दुनिया में बदलाव लाने के लिए, विश्व की मूल इकाई यानी मानव पर कार्य करना होगा। कोई भी बौद्धिक ज्ञान या बाहर की कार्यप्रणाली व्यक्ति की क्रिया और व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु पर्याप्त नहीं है। मानव कार्य उसके विचारों का परिणाम है, इसलिए समाज को व्यवस्थित करने के लिए पहले मानव के विचारों को व्यवस्थित करना होगा, जो मात्र ब्रह्मज्ञान द्वारा ही सम्भव है।
सभी प्रमाणिक शास्त्र भी इस तथ्य पर प्रकाश डालते हैं कि ब्रह्मज्ञान के दिव्य व शाश्वत विज्ञान के माध्यम से ही यह साकार हो सकता है। जिस समय तृतीय नेत्र (दिव्य नेत्र) प्रगट होता है उस समय मानव आध्यात्मिक रूप से जागृत होकर आत्म-साक्षात्कार के पथ पर बढ़ जाता है।
उन्होंने बताया कि जब कोई व्यक्ति आत्मबोध के शाश्वत विज्ञान को प्राप्त करता है, तो वह आत्मिक प्रकाश का साक्षी बनता है। जब कोई आकांक्षी आंतरिक अंतरात्मा के प्रकाश का ध्यान करता है, तो उसके विचार और मानसिक सकरात्मक उद्भावनाएं जागृत चेतना की सीमा में प्रवेश करती हैं, इस प्रकार वह सकारात्मकता, संतुलन व ज्ञान में स्थित हो जाता हैं।
इस अवसर पर माननीय रसेल वोर्टले- मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल (MLC) ने संस्थान के लक्ष्य आत्मिक जागरण के माध्यम से विश्व में शांति स्थापना के प्रयासों व इसके साथ ही समाज कल्याण हेतु विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं की सराहना की। साथ ही उन्होंने गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में विश्व शांति हेतु किए जा रहे ऐसे अद्भुत कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर साध्वी जी ने संस्थान द्वारा माननीय रसेल वोर्टले को “समाधि” पुस्तक भी भेंट की।